Hindi, asked by aryanbhatia4740, 2 days ago

Nana khanij sampda me nit syam mani milte dekha hai sarwdharm ka dharmserest yah sidh piv sadhak dekha h

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Answered by skabdulwahid863
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Answer:

जाड़े के दिन थे ही, तिस पर हवा के प्रकोप से कँपकँपी लग रही थी। हवा मज्जा तक ठिठुरा रही थी, इसलिए हमने कानों को धोती से बाँधा। माँ ने भेंजाने के लिए थोड़े-से चने एक धोती में बाँध दिये। हम दोनों भाई अपना-अपना डण्डा लेकर घर से निकल पड़े। उस समय उस बबूल के डण्डे से जितना मोह था, उतना इस उम्र में रायफल से नहीं। मेरा डण्डा अनेक साँपों के लिए नारायण-वाहन हो चुका था। मक्खनपुर (UPBoardSolutions.com) के स्कूल और गाँव के बीच पड़नेवाले आम के पेड़ों से प्रतिवर्ष उससे आम झूरे जाते थे। इस कारण वह मूक डण्डा सजीव-सा प्रतीत होता था। प्रसन्नवदन हम दोनों मक्खनपुर की ओर तेजी से बढ़ने लगे। चिट्ठियों को मैंने टोपी में रख लिया, क्योंकि कुर्ते में जेबें न थीं। Mark as a brainliests please kar do yar

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