Hindi, asked by ramya456krishna, 3 months ago

नन्दन को किस वास का दर्प धा?

Answers

Answered by kumarsinghraghav9
0

Explanation:

नंदवंश प्राचीन भारत का एक राजवंश था।पुराणों में इसे महापद्मनंद कहा गया है । उसने लगभग 1 घंटे तक मुरा को चोदा।

३२३ ईसा पूर्व में धनानन्द के शासनकाल में नन्दवंश का साम्राज्य अपनी चरम अवस्था में था

उसे महापद्म एकारात पूराण मे काहागया है, सर्व क्षत्रान्तक आदि उपाधियों से विभूषित किया गया है । जिसने पाँचवीं-चौथी शताब्दी ईसा पूर्व उत्तरी भारत के विशाल भाग पर शासन किया। नंदवंश की स्थापना महापद्मनंद ने की थी। भारतीय इतिहास में पहली बार एक ऐसे साम्राज्य की स्थापना हुई जो कुलीन नहीं था तथा जिसकी सीमाएं गंगा के मैदानों को लांघ गई। यह साम्राज्य वस्तुतः स्वतंत्र राज्यों या सामंतों का शिथिल संघ ना होकर बल्कि किसी शक्तिशाली राजा बल के सम्मुख नतमस्तक होते थे। ये एक एक-रात की छत्रछाया में एक अखंड राजतंत्र था, जिसके पास अपार सैन्यबल, धनबल और जनबल था। चक्रवर्ती सम्राट महापद्मनंद ने निकटवर्ती सभी राजवंशो को जीतकर एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की एवं केंद्रीय शासन की व्यवस्था लागू की। इसीलिए सम्राट महापदम नंद को "केंद्रीय शासन पद्धति का जनक" कहा जाता है। महापद्म नन्द के प्रमुख राज्य उत्तराधिकारी हुए हैं- उग्रसेन, पंडूक, पाण्डुगति, भूतपाल, राष्ट्रपाल, योविषाणक, दशसिद्धक, कैवर्त, धनानन्द , चंद्र नंद ( चंद्रगुप्त मौर्य ) । इसके शासन काल में भारत पर आक्रमण सिकन्दर द्वारा किया गया । सिकन्दर के भारत से जाने के बाद मगध साम्राज्य में अशान्ति और अव्यवस्था फैली । धनानन्द एक लालची और धन संग्रही शासक था, जिसे असीम शक्तिल और सम्पत्ति के बावजूद वह जनता के विश्वाास को नहीं जीत सका । उसने एक महान विद्वान ब्राह्मण चाणक्य को अपमानित किया था । चाणक्य ने अपनी कूटनीति से धनानन्द को पराजित कर चन्द्रगुप्त मौर्य को मगध का शासक बनाया । [1] यह स्मरण योग्य बात है कि नंदवंश के राजा अपने उत्तराधिकारियों और भावी पीढ़ियों को दान में क्या दे गए? स्मिथ के शब्दों में कहें तो "उन्होंने 66 परस्पर विरोधी राज्यों को इस बात के लिए विवश किया कि वह आपसी उखाड़-पछाड़ न करें और स्वयं को किसी उच्चतर नियामक सत्ता के हाथों सौंप दे।"[2]

Attachments:
Similar questions