ननलखत गयांश को पढ़कर पछू े गए न के उर लखए |
भाय का अथ यह नहं होता है क बना कु छ कए अपने हाथ क रेखाओं पर नभर रहना या फर
ईवर का दया समझ कर सब कु छ ऐसे ह छोड़ देना, बिक भाय का सह अथ होता है अपने कम को परू नठा से करना और फल को लेकर सजग होना। बहुत से लोग अपनी परू िजंदगी भाय के भरोसे नकाल देते ह और संतोषजनक रवयै ा लेकर कसी काय म अपना मन नहं लगाते ह। यह भी कह सकते ह क कसी काम को करने क उनक इछा ह नहं होती है यक उनका मानना यह है क िजतना परमेवर ने दया है वह हमारे लए पयात है। जो यह सोचता है वह अपने जीवन म यादा आगे नहं जा पाता है यक कम करना ह यित क वाभावक वृ है। कम करने क ताकत बचपन से हम मलती है और कम ह हम साधनावथा के साथ सधावथा तक पहुंचा देता है। यन प उपभोग प से यादा भाव कार होता है, इसीलए यित को अपने जीवन म नरंतर काय करते रहना चाहए। मनु य क संरचना पशु से अलग है, इसीलए मनु य को ह यह शित ात है क वह अपने कायवयंसचुापसेकरसकेजोउहकरनेचाहए।नरंतरकायकरकेहयितअपनेजीवनम सबकुछहासलकरसकताहैभायकेभरोसेबठैनाअपनीबुधहनताकापरचयदेनाहै।
न-1 भाय का सह अथ या है ?
न-2 कौन से लोग िजंदगी भाय के भरोसे नकाल देते ह?
न-3 ततु गयांश से आपको या शा मलती है?
न-4 ‘वृ ’ शद का अथ और ‘वाभावक’ शद का वलोम शद लखए
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