ननलखत काांश को पढ़कर पूछेगए के उर दजए- 1X5=5 मन क मन ही माँझ रही। कहए जाइ कौन पेऊधी, नाह परत कही। अवध अधार आस आवन क, तन मन वथा सही। अब इन जोग सँदेसन सुन-सुन, बरहन बरह दही। चाहत ती गहुार जतह ते, उत तेधार बही। ‘सूरदास' अब धीर धरह या, मरजादा न लही। (क) कसके मन क बात मन मरह गई ओर य? (ख) गोपयाँया था सह रही थ और कसके बल पर सह रही थ। (ग) गोपय क वरहान और अधक य बढ़ गई? (घ) "धार बही' का या आशय है? (ङ) गोपयाँधीरज धारण य नह कर पा रही थ?
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dear what is your question????
write this properly dear ok
thanks=thanks
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dude I am unable to understand your question
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