Hindi, asked by josebinjeeva, 3 months ago

ननम्न पद्यों का भावाथध ट्रहन्दी में ललखिए।

1. मैंनहारता ह ूँउनको - फिर अपने को

भ ल जाता ह ूँअपनी क्षीण आय को।​

Answers

Answered by Sasmit257
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Explanation:

क्या जाने? उसकी इस अवस्था से चालाक लोग इस समय बहुत बेजा फायदा उठा रहे हैं। धर्म और ईमान के नाम

पर किए जाने वाले इस भीषण व्यापार को रोकने के लिए, साहस और दृढ़ता के साथ, उद्योग होना चाहिए। धर्म

और ईमान, मन का सौदा हो, ईश्वर और आत्मा के बीच का संबंध हो, आत्मा को शुद्ध करने और ऊँचा उठाने

का साधन हो! वह किसी दशा में भी, किसी दूसरे व्यक्ति की स्वाधीनता को छीनने या कुचलने का साधन न बने ।

व्यक्ति अपनी इच्छानुसार धर्म का पालन कर सके। यदि किसी धर्म को मानने वाले कहीं जबरदस्ती टाँग अड़ाते

हों, तो उनका इस प्रकार का कार्य देश की स्वाधीनता के विरुद्ध समझा जाए। देश की स्वाधीनता के लिए जो

उद्योग किया जा रहा था, उसका वह दिन नि:संदेह अत्यंत बुरा था, जिस दिन, स्वाधीनता के क्षेत्र में, खिलाफत,

मुल्ला, मौलवियों और धर्माचार्यों को स्थान दिया जाना आवश्यक समझा गया। एक प्रकार से उस दिन हमने

स्वाधीनता के क्षेत्र में, एक कदम पीछे हटकर रखा था।

\pi \alpha 30

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