ननम्नलिखित काव्ाांश को पढकर पूछे गए प्रश्नों के सही विकल्प चनुनए – (5)
सच हम नह ीं, सच तुम नह ीं
सच है महज़ सींघर्ष ह |
सींघर्ष से हट कर जिए तो क्या जिए हम या कक तुम |
िो नत हुआ , वह मतृ हुआ, ज्यों वतींृ से झर कर कुसुम
िो लक्ष्य भूल रुका नह ीं
िो हार देख झुका नह ीं
जिसने प्रणय पाथेय माना िीत उसकी ह रह |
सच हम नह ीं , सच तुम नह ीं
ऐसा करो जिससे न प्राणों में कह ीं िड़ता रहे |
िो हैिहााँचपुचाप अपने –आप से लड़ता रहे |
िो भी पररजथथततयाीं ममले |
कााँटे चभु े , कमलयााँ खखलें |
हारे नह ीं इींसान, हैसींदेश िीवन का यह
सच हम नह ीं , सच तुम नह ीं
सच है महज़ सींघर्ष ह |
1 पेड़ से झड़े हुए कुसुम की तुलना ककससे की है ?
(क) झुके हुए मसर से (ख) हार मानकर तनराश हुए व्यजक्त से
(ग) कमलयों से (घ) िो लक्ष्य नह ीं भूला
2 िीवन के राथते में कााँटे और कमलयााँ ककसका प्रतीक है ?
(क) सींघर्ष के (ख) इन्शान के
(ग) सच्चाई और झूठ के (घ) दुःुख और सुख की पररजथथततयों के
3 कै से व्यजक्त की िीत होती है ?
(क) िो हारने के बाद भी तनराश न हो (ख) िो अपने आप से लड़ता हो
(ग) िो सींघर्ष करे (घ) िो कााँटों पर चलता हो
4 िीवन का सींदेश क्या है?
(क) प्राणों में िड़ता नह ीं लानी चाहहए (ख) कभी हार न मानने वाला ह सच्चा इन्शान है
(ग) िो लक्ष्य को भूल िाए वह इन्शान है (घ) फूल की तरह वक्षृ से गगर िाना चाहहए
Answers
Answer:
सुख करता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना
जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति
दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति
जय देव जय देव
शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी
जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे।
हरे कृष्णा हरे कृष्णा कृष्णा कृष्णा हरे हरे।
गणपति बप्पा मोरिया