ननम्नमलखित पदयांश की सप्रसंग व्याख्या कीजजए:
िह चिड़िया जो- कं ठ िोलकर बूढे िन-बाबा की खानतर रस उं डेल कर गा लेती है िह छोटी मुंह बोली चिड़िया नीले पंिोंिाली मैंहूं मुझेविजन से बहुत प्यार है
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वह चिड़िया जो कविता का सार: इस कविता में लेखक ने नीले पंखों वाली एक छोटी सी संतोषी चिड़िया के बारे में बताया है। उसे प्रकृति की हर वस्तु से अत्यंत लगाव है। कवि कहते हैं कि नीले रंग की छोटी चिड़िया को अन्न से बहुत प्यार है। वह बहुत ही रुचि और संतोष के साथ दूध भरे ज्वार के दाने खाती है। उसे अपने वन से भी बहुत प्यार है। वह बूढ़े वन में घूम-घूम कर अपने मीठे स्वर में वृक्षों के लिए प्यारे गीत गाती है। उसे एकांत और नदी से बहुत प्यार है। वह अत्यंत साहस के साथ उफनती नदी में से अपनी चोंच में पानी की बूंदें भर लाती है।
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