Hindi, asked by homeworkamrita, 4 months ago

ननम्नमलखखि गद याींश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर मलखखए-
सचरित्र के दो सशक्त स्तंभ हैं ु -प्रथम सुसंस्काि औि द्वितीय सत्संगतत।

सुसंस्काि भी प

िव जीिन की सत्संगतत ि सत्कमों की अर्जतव सपं वि हैऔि

सत्संगतत ितमव ान जीिन की दर्

भव विभत
ूत है। र्जस प्रकाि क

धातु
की कठोिता
औि कालर्ख पािस के स्पशव मात्र से कोमर्ता में बदर् जाती है, ठीक उसी
प्रकाि क

मागी के दोष सत्संगतत से स्िर्णवम आभा में परििततवत हो जाते हैं।
सतत सत्संगतत से विचािों को नई ददशा लमर्ती है औि अच्छे विचाि मन

ष्य

को अच्छे कायों में प्रेरित किते हैं। परिणामतः सु

चरित्र का तनमावण होता है।
आचायव हजािी प्रसाद दिेदी ने लर्खा है-महाकवि टैगोि के पास बैठने मात्र से

ऐसा प्रतीत होता था, मानो भीति का देिता जाग गया हो। िस्ततु . चरित्र से
ही जीिन की साथवकता है। चरित्रिान व्यर्क्त समाज की शोभा है, शर्क्त है।
सु
चरित्र से व्यर्क्त ही नही,ं समाज भी श

शोलभत होता है औि िाष्र यशस्िी

बनता है। विदिु

जी की उर्क्त सत्य है कक सु

चरित्र के बीज हमें भर्े ही िंश
पिंपिा से प्राप्त हो सकते हैं, पि चरित्र-तनमावण व्यर्क्त के अपने बर्ब
ूते पि

तनभवि है। अन

िाींलशक पिंपिा, परििेश औि परिर्स्थतत उसे के िर् प्रेिणा दे
सकते हैं, पि उसका चरित्र-तनमावण नहीं कि सकते, िह व्यर्क्त को उििाधधकाि
में प्राप्त नहीं होता। व्यर्क्त-विशेष के लशधथर्-चरित्र होने से प

ूिे िाष्र पि

चरित्र-संकट उपर्स्थत हो जाता है, क्योंकक व्यर्क्त प

ूिे िाष्र का एक घटक है।

अनेक व्यर्क्तयों से लमर्कि एक परििाि, अनेक परििािों से एक क

र्, अनेक



र्ों से एक जातत या समाज औि अनके ानेक जाततयों औि समाज सम
ुदायों से

लमर्कि ही एक िाष्र बनता है।
(क) सत्संगतत क

मागी को कै से सु

धािती है? सोदाहिण स्पष्ट कीर्जए। 2

(ख) चरित्र के बािे में विदिु

जी के क्या विचाि हैं? 2

(ग) व्यर्क्त विशेष का चरित्र सम

चे िाष्र को कै से प्रभावित किता है? 2

(घ) व्यर्क्त के चरित्र-तनमावण में ककस-ककस का योगदान होता हैतथा व्यर्क्त
सुसंस्क
ृत कै से बनता है?

2

(ड) संगतत के संदभव में पािस का उल्र्ेख र्ेखक ने क्यों ककया?






Pls help

Answers

Answered by anjali9540741648
0

Answer:

this is too long ???? please ask question one by one

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