Hindi, asked by EmamAli203, 10 months ago

Nar aur nari ek saman essay in hindi 250 words

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Answered by SEHANSHAH
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hlo friend
HERE IS UR ANSWER

लड़का और लड़की समाज रुपी गाड़ी के दो पहिये हैं समाज के विकास के लिए इन दोनों का होना बेहद लाजमी है। भारतीय संस्कृति में औरत को सम्मानपूर्ण दर्जा दिया गया है इसीलिए पुराने समय में औरत मर्द के समान समझी जाती थी। आज़ादी की लड़ाई में भी महिलाओं ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। किन्तु समय के साथ साथ नारी का सम्मान धीरे धीरे खत्म होता गया।

आज के आधुनिक युग में इसी नारी को भेद भाव की नजर से देखा जाता है इसके जन्म से सबके चेहरे मुरझा जाते हैं और लड़के के जन्म से उसे प्रसन्नता के भाव से देखा जाता है। किन्तु सच्चाई तो यह के चाहे जन्म लड़का ले जा फिर लड़की इस पर किसी का वश नहीं है।

भगवान ने लड़का लड़की को एक समान रूप से बनाया है भारत देश में तो आज भी लड़की के जन्म के बाद सभी शौक मनाते हैं जबकि लड़के के जन्म के बाद खुशियां मनाई जाती हैं। अक्सर यह भी देखा जाता है के लड़की को उसके जन्म लेने से पहले ही मार दिया जाता यह घटनाए हमारे समाज में धडल्ले से घटित हो रहीं हैं। बच्ची के पैदा होते ही कोई भी उसे प्यार से चूमता तक नहीं यहां तक के उसकी माँ भी एक पल के लिए उससे मूंह फेर लेती है।

इस घृणा का मुख्य कारण है के सदियों से नारी को दबला कुचला गया है जो नारी जूठन खाकर अपना जीवन जीती आ रही हो और अपने पति से पिटती भी है और वह बेटी के जन्म लेने से खुश कैसे हो सकती है ? समाज में बेटी के जन्म लेने पर दुःख का सबसे बड़ा कारण है समाज में चल रही दहेज की कुप्रथा है। बेटी के जन्म के बाद ही उसके माता -पिता को उसके दहेज़ की चिंता सताने लगती है।

समय तेज़ी से बदल रहा है नारी ने अपने दम पर यह साबित कर दिया है के वह किसी से कम नहीं है आज लड़कियां वो कर रहीं है जो लड़के कर सकते हैं आज लड़कियां पायलट , डॉक्टर , जज , वकील , टीचर , इंजिनियर आदि जैसे प्रोफेशन में अपना नाम रोशन कर रहीं हैं। लड़कियां हर क्षेत्र में लडकों से आगे निकल गयी हैं।

रानी लक्ष्मी बाई की वीरता की कहानी तो हर कोई जानता होगा जो हम सब के लिए प्रेरणा का एक श्रोत है

कल्पना चावला अन्तरिक्ष में जाने वाली पहली भारती महिला थी उनका कुछ करने का जज्बा आज भी हमारे दिल में जिन्दा है। निश्चित ही कल्पना चाबला आज की लडकियों के लिए आदर्श है। इसीलिए जब कल्पना चावला जैसी एक माध्य वर्गीय परिवार की लड़की इतना बड़ा हौंसला रख सकती है तो हम लड़कियां क्यों नहीं ?

इसी बजय से आज समाज की सोच में काफी हद तक परिवतर्न आया है अब स्थितियां उतनी ज्यादा कठोर और दयनीय नहीं रहीं जिनती पहले हुआ करती थी।

सरकार ने कई ऐसे कठोर कानून बनाए हैं जिससे जो महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों को कम किया जा सके सरकार लडकियों को हर क्षेत्र में अवसर दे रही है ता जो उनका हौंसला बढ़ाया जा सके और उन्हें सम्मान की नजर से देखा जाए

इसीलिए आज समाज को जरूरत है लड़का लड़की (Boy Girl Equality) के बीच होने वाले भेद भाव को खत्म करने की। पूरे संसार में 8 मार्च को महिला दिवस बड़े ही सम्मान और कई कार्यक्रमों के साथ आयोजित किया जाता है किन्तु इस प्रकार के कार्यक्रमों का खोक्लापन तब सामने आता रहेगा जब तक एक नारी को अपने स्वाभिमान की रक्षा के लिए उसे किसी कानून , समाज और किसी मर्द की जरूरत महसूस नहीं होगी जब वो सही मायनों में आत्म निर्भर बन जाएगी।

हम अक्सर यह कहते हैं के महिलाओं को समाज में उच्च सम्मान मिलना चाहिए किन्तु यह तभी संभव हो सकता है जब पूरा समाज इसके लिए दृढ संकल्प ले

नोट : यदि आपके पास इस लेख के बारे में कोई अन्य सुझाब है तो आप कमेंट के माध्यम से हमें जरूर बताएं ता जो हम आपकी सोच पूरे देश के सामने रख पाएं I

I HOPE IT HELPS YOU PLZ
PLZ MARK IT AS A BRAINLIEST

Answered by manjunaula001
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Answer:

नाइस भाई नाइस कितना अच्छा बनाया है तूने

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