Hindi, asked by bentblady6099, 7 months ago

नर हो न निराश करो मन को - अनुच्छेद
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Answered by goddzn
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Answer:

আয়তন

Explanation:

Answered by SIDDHIVN
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ज़िंदगी की विषम परिस्थितयों से जूझते हुए अक्सर हम निराश होने लगते हैं| नतीजा यह होता है, कि हम अपनी क्षमताओं को खोते जाते हैं| दरअसल होता यह है कि निराशा हम पर इस कदर हावी होने लगती है कि हमें चीज़ें जितनी बुरी होती है,उससे कहीं ज्यादा बुरी लगने लगती है| इन्हीं अवसादों में घिरते हुए हम अपनी नैसर्गिक प्रतिभाएं भी खोने लगते हैं| मन ही मन घुटने लगते हैं| बस यहीं हम गलत हो जाते हैं| क्यों हम अपनी प्रतिभा को नजरअंदाज़ कर खुद ही हीनता के शिकार होने लगते हैं| निराशा दूर करने के लिये सबसे पहले अपने काम को ईमानदारी से करना शुरु कीजिये सबसे बड़ा संबल यही होता है|यह बात ध्यान मे रखिये ना ही आपको निराश होना है ना ही अपने मन को निराश करना है|

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