Hindi, asked by anil2645meena, 1 month ago

नर्मदा एक नदी नहीं संस्कृति है' विषय पर लेख लिखिए।​

Answers

Answered by krimipatel6126st
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नर्मदा एक नदी नहीं, संस्कृति है। इस संस्कृति की अनुगूंज पूरे नर्मदा कछार में सुनी जा सकती है। नर्मदा का महात्म्य जन-भावना में सर्वज्ञात है। अब इस चिर-कुमारी को बाँधों के घूंघट पहनाए जा रहे हैं। पुनासा बाँध, नर्मदा सागर बाँध आदि इसी प्रकार के प्रयास हैं, जो नर्मदा के जल को प्यासी फसलों तक पहुँचाएँगे और जल से उत्पन्न विद्युत गाँवों को बिजली की आँखें देगी। यह अलग बात है कि इनके कारण हजारों एकड़ बेकार भूमि ही नहीं, उर्वर जमीन भी पानी में डूबेगी। लोगों को अपने घर-जमीन छोड़कर देश बाहर होने का अभिशाप ढोना पड़ेगा। हरसूद जैसा बड़ा कस्बा और बम्बई जाने वाली रेल लाइन का एक हिस्सा तक डूब में आएगा। बड़वानी क्षेत्र का बड़ा भू-भाग भी इस डूब में आएगा, लेकिन लोग अभी भी आशा नर्मदा पर ही लगाए हैं-“नर्मदा मैया जो चाहेगी वही होगा''- कितनी गहन आस्था है।

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Answered by probrainsme104
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Answer:

नर्मदा केवल नदी नहीं, संस्कृति भी है

Explanation:

मां नर्मदा का शहर में धार्मिक महत्व है। लोगों की आस्था जुड़ी है। संस्कारधानी में नर्मदा नदी को मां तुल्य माना गया है। ऐतिहासिक तौर पर भी इस नदी का काफी महत्व है। मां नर्मदा चारों युगों की साक्षी रही हैं। इसे शिक्षा और संस्कार की नदी भी कहा जाता है। 1312 किलोमीटर में बहने वाली इस नदी के किनारे विभिन्न संस्कृतियां बसती हैं। इसलिए इसे सिर्फ नदीं नही कहा जा सकता, ये संस्कृति भी है। नर्मदा सभ्यता और संस्कृति सबसे प्राचीन है। इसने चारों युगों में मानव सभ्यता को देखा है। यही एक मात्र ऐसी सभ्यता है जो आजीवनकाल है। जिसे लोग आज भी जी रहे हैं। कई बड़ी सभ्यताएं आईं और समाप्त हो गईं, लेकिन नर्मदा सभ्यता आज भी अस्तित्व में है। अमरकंटक से गुजरात तक इसके किनारे कई सारी सभ्यताएं और संस्कृति देखने को मिलती है। लोक कला, लोक संस्कृति, लोक नृत्य। इसलिए इसका बहुत ज्यादा महत्व है। यह पूज्यनीय है। इतिहासविद डॉ.आनंद सिंह राणा ने बताया कि चारों युगों की साक्षी रही इस नदी का जितना पौराणिक महत्व है, उतना ही धार्मिक भी। इसकी खूबसूरती और सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां पर संगमरमरी वादियों के बीच बहने वाली नर्मदा नदी की युवावस्था पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसके दर्शन मात्र से पुण्य और सुख की प्राप्ति होती है। नर्मदा नदी में एक दिन के लिए गंगा जी भी आती है। ये एक ऐसी नदी है जिसने चारों युगों की संस्कृति को समेटे रखा है। नर्मदा नदी में अपने आप में एक अनूठी संस्कृति है। भारत वर्ष में त्रिपुरी आध्यात्मिक केंद्र रहा है यहां पर शैव विश्वविद्यालय रहा है। इसलिए इसे शिक्षा और संस्कार की नदी कहते हैं। इसे युवा वर्ग भी मानता है। हम अपनी आस्था बनाए रखें, लेकिन इसके कारण हम इसे दूषित न करें। दीपदान करने का चलन है। लोग यहां दीपदान करते हैं। दीपदान करके उसे उठाए भी। नदी न बहने दे। नर्मदा का संरक्षण करना हमारी जिम्मेदारी है। तभी हम इसके महत्व बनाए रख पाएंगे।

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