नर्मदा का उद्गम अमरकंटक पाठ में वर्णित नैसर्गिक सौंदर्य का किन्ही चारबिन्दुओं में वर्णन कीजिए?
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उत्तर अमरकंटक एक भारत के पवित्र स्थलों में गिना जाता हैं अमरकंटक पर्वत श्रंखलाओं से गिलती जलधारा देख कर ऐसा लगता है कि जैसे आकाश से चांदी की कोई धारा गिर रही हो। यह पवित्र भूमि तपोभूमि कहलाती है, इस क्षेत्र में गुलबकावली के दुर्लभ फूल भी पाए जाते हैं।नर्मदा नदी यहां से पश्चिम की तरफ जबकि सोन नदी पूर्व दिशा में बहती है जिसे देखकर मन प्रसन्न हो उठता है।नर्मदा उद्गमः यहां नर्मदा के उद्गम पर पवित्र मंदिर है जहां तीर्थयात्रियों की कतारें लगी रहती हैं. जो हमेशा पानी से भरा रहता है. धूनी पानीः यहां घने जंगल में गर्म पानी का सोता है.
व्याख्या:यह पवित्र भूमि तपोभूमि कहलाती है, जहाँ पर ऋषि मार्कंडेय ने अपनी तपस्या से इस भूमि को आलोकित किया है। यह भूमि आम, जामुन और सरई के वृक्षों के जंगल से समृद्ध है। इस क्षेत्र में गुलबकावली के दुर्लभ फूल भी पाए जाते हैं। इन फूलों के रंग से आँखों की जलन में बेहद आराम मिलता है।
निष्कर्ष:
अमरकंटक को नर्मदा नदी और सोन का जन्मस्थान माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नर्मदा नदी को वरदान दिया था कि इसके किनारे कोई सूखा नहीं रहेगा और यह हमेशा हरा-भरा रहेगा। वही आज भी स्पष्ट है।
व्याख्या:यह पवित्र भूमि तपोभूमि कहलाती है, जहाँ पर ऋषि मार्कंडेय ने अपनी तपस्या से इस भूमि को आलोकित किया है। यह भूमि आम, जामुन और सरई के वृक्षों के जंगल से समृद्ध है। इस क्षेत्र में गुलबकावली के दुर्लभ फूल भी पाए जाते हैं। इन फूलों के रंग से आँखों की जलन में बेहद आराम मिलता है।
निष्कर्ष:
अमरकंटक को नर्मदा नदी और सोन का जन्मस्थान माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने नर्मदा नदी को वरदान दिया था कि इसके किनारे कोई सूखा नहीं रहेगा और यह हमेशा हरा-भरा रहेगा। वही आज भी स्पष्ट है।
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