"नर सेवा नारायण सेवा' विषय पर एक अनुच्छेद लिखिए-
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से मंगलवार को नगला मंदिर सभागार में आयोजित गोष्ठी में स्वामी जी से जुड़े घटनाक्रमों के बारे में बताकर युवा वर्ग को उनके पदचिन्हों पर चलने की सीख दी गई। विभाग कार्यवाह सुरेश कुमार ने कहा कि स्वामी जी ने नर सेवा नारायण सेवा का मंत्र दिया। इस दौरान अमरदीप सिंह राठौर, हिमांशु कुमार, गिरीश कुमार, गिरीशबाबू, सहदेव सागर, वैभव महाजन, हरेंद्र कुमार, राजकुमार सिंह, राजेश कुमार, अशोक कुमार, निखिल गुप्ता आदि मौजूद रहे।
दास डिग्री कॉलेज में यूनिवर्सिटी के एनएसएस कार्यक्रम समन्वयक डॉ. मनवीर सिंह ने कहा कि स्वामी जी दया, करुणा और मानवीय गुणों के मूर्त रूप थे। इस दौरान डॉ. सुधाकर आशावादी, डॉ. बैकुंठ शुक्ल, प्रवक्ता शबीना, डॉ. कमल सिंह, आरती शर्मा, प्रीति पटेल, सृष्टि, सबा, साबिर, सिमरन, पुष्पेंद्र सागर, कविता, भाग्यश्री, अमित कुमार, सतेंद्र यादव आदि मौजूद रहे। दास डिग्री कॉलेज में हिंदी साहित्य परिषद के तत्वावधान में निबंध प्रतियोगिता हुई। इसमें कमल किशोर गुप्ता प्रथम स्थान पर रहे। इस दौरान डॉ. कमला माहेश्वरी, मोहम्मद सरवर आदि मौजूद रहे।
राजकीय महाविद्यालय में स्वामी जी के विचारों पर संगोष्ठी और 'युवाओं के प्रेरणास्रोत स्वामी जी' विषय पर भाषण प्रतियोगिता हुई। इसमें प्रिया यादव को प्रथम स्थान मिला। प्राचार्य डॉ. एसपी खरे ने कहा कि वर्तमान में स्वामी जी के विचार प्रसांगिक हैं। इस मौके पर डॉ. राकेश जायसवाल, डॉ. राधेश्याम सिंह, डॉ. पंकज अग्रवाल, डॉ. दिनेश कुमार, डॉ. शिवपाल सिंह, डॉ. इकबाल हबीब, डॉ. अफरोज आलम आदि मौजूद रहे।
गिंदो देवी डिग्री कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता और क्विज का आयोजन हुआ। क्विज में सृष्टि प्रथम स्थान पर रही। इस दौरान प्राचार्य डॉ. गार्गी बुलबुल ने कहा कि स्वामी जी की सीख और पदचिन्हों पर चलकर राष्ट्र की उन्नति कर सकते हैं। इस मौके पर डॉ. उमा सिंह गौर, डॉ. शुभ्रा माहेश्वरी, डॉ. निशि अवस्थी, डॉ. साधना अग्रवाल, सरला देवी आदि मौजूद रहे।
ऐस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नालॉजी में वाद विवाद और पोस्टर प्रतियोगिता आयोजित हुई। इसमें दीपक गुप्ता और आशीष सिंह प्रथम स्थान पर रहे। इस दौरान चेयरमैन सुबोध गोयल, प्राचार्य डॉ. कंचनलता, नीरज गौतम, रमाकांत, हर्षित गुप्ता, दीक्षा सक्सेना, जया वैश्य, मुन्नू बाबू गुप्ता, प्रमोद सहयोगी आदि मौजूद रहे।
द्रोपदी देवी सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज में प्राचार्य डॉ. रविशरण सिंह चौहान ने स्वामी जी के जीवन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर रामऔतार शर्मा, महावीर सिंह, सुरेंद्र सिंह, आर्येंद्र सिंह, राकेश शास्त्री, रामभजन शाक्य, चंद्रपाल सिंह, सुरेंद्र मिश्रा आदि मौजूद रहे।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) की जिले की पांच इकाइयों पर स्वामी जी का जन्मदिवस मनाया गया। सभी स्थानों पर गोष्ठियों का आयोजन करके छात्रों को उनके विचारों से अवगत कराकर उस पर चलने के लिए कहा गया। इस मौके पर पारस गुप्ता, जिला संयोजक सहदेव सागर, वैभव महाजन, अशोक, सत्यदेव आर्य, अंकुश गुप्ता, राहुल अकेला, विवेक उपाध्याय, प्रदीप गुर्जर आदि मौजूद।
युवा मंच के कार्यकर्ताओं ने स्वामी विवेकानंद जी के जन्मदिवस पर एक गोष्ठी का आयोजन अंबेडकर पार्क में किया। इसमें संस्थापक ध्रुवदेव गुप्ता ने स्वामी जी के बारे में बताया। इस दौरान सचिन यादव, यमन श्रीवास्तव, तनु नेगी, विनोद मौर्य, धर्मेंद्र मौर्य आदि मौजूद रहे।
कायस्थ परिवार और स्वामी विवेकानंद महासभा की ओर से समारोह आयोजित हुआ। इसमें मनोज जौहरी ने कहा विवेकानंद जी का जन्मदिन युवाओं में स्वाभिमान और उम्मीद की किरण पैदा करने वाला दिन है। इस दौरान जिलाध्यक्ष राजा सक्सेना, सौरभ सक्सेना, सुयश जौहरी, शिवम सक्सेना, नितिन सक्सेना, हर्षित सक्सेना, दीप आदि मौजूद रहे।
भारतीय संगोष्ठक संस्था ने युवा दिवस पर गोष्ठी करके स्वामी जी बारे में बताया गया। इस मौके पर संयोजक अमन मयंक शर्मा, दिनेशचंद्र शर्मा, सोनाली सक्सेना, गीता शर्मा, नरेशचंद्र शंखधार, रामदेवी शर्मा आदि मौजूद रहे। निखार जनकल्याण समिति गौतेरा शाखा की ओर से भाषण प्रतियोगिता आयोजित हुई और राष्ट्रीय गीत गाए गए। इस दौरान प्रमोद कुमार, रजनी मिश्रा, धर्मेंद्र कुमार, सुमित, कपित, वैभव, आर्येंद्र, कविता आदि मौजूद रहे।
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नर सेवा ही नारायण सेवा है। जीव की सेवा करना ही परमात्मा की सच्ची सेवा है। यह सद्विचार पंडित चेतन शास्त्री ने राधा कृष्णा कीर्तन मंडली द्वारा गांव सिंघावाला के पास विष्णु विहार में आयोजित की जा रहे श्रीमदभागवत ज्ञान यज्ञ में व्यक्त किए। पंडित चेतन शास्त्री के व्यास गद्दी पर पहुंचने पर राम कुमार सैनी, सुशील कुमार, पुष्पेद्र शास्त्री, नरेंद्र मोहन व अमोलक राज ने माल्यार्पण करके उनका भव्य स्वागत किया। कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि कुसंगति से ही राजा परीक्षित का आचरण बिगड़ा और संतों के संग से ही ध्रुव जैसे जीव को अल्पायु में भगवान का साक्षात्कार हो गया। कदर्भ और देवाहुति की तपस्या और संयम के फलस्वरूप स्वयं भगवान नारायण उनके घर में पुत्र बनकर आए। परमात्मा का नाम जपने से जीवन सुधरता है। नाम सुमिरन से ही अजामिल जैसे पापी का बेड़ा पार हो गया।
शास्त्री ने कहा कि सुसंग करो। उन्होंंने कहा कि बलि राजा गुरु सेवक, सदाचारी थे तभी तो भगवान वामन ने उनका उद्धार किया। सत्कर्मी के रक्षक स्वयं भगवान हैं। वो ज्ञान, रूप, बल आदि के अधीन नहीं हैं, परमात्मा तो भक्तों के अधीन होते हैं। इस अवसर पर श्रीकृष्ण अवतार पर शास्त्री द्वारा गाई गई बधाइयों से सारा वातावरण श्रीकृष्णमय बन गया।