Hindi, asked by sidverma4168, 9 months ago

नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने हेतु लंबी लाइन में खड़े परेशान अभिभावक इस स्थिति का दृश्य लेखन कीजिए

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Answered by bhatiamona
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नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने हेतु लंबी लाइन में खड़े पहचान अभिभावकों स्थिति का दृश्य लेखन

हिल ग्रोव पब्लिक स्कूल के बाहर बच्चों के माता-पिता की लंबी लाइन लगाये खड़ें हैं।  कुछ लोग तो रात में बारह बजे से ही स्कूल के गेट के बाहर लाइन लगाये खड़े हैं। सुबह आठ बजे स्कूल का गेट खुलेगा तब एडमिशन फॉर्म बटेंगे। स्कूल में सीटें 200 और दावेदार 1000 से ऊपर है। सबको अपने बच्चे का एडमिशन उसी स्कूल में चाहिए। लोगों की लाइन बढ़ती जा रही है जो लोग रात से लाइन लगाए हैं वह बारी बारी से कभी माता तो कभी पिता आकर लाइन में लग जाते हैं।

एक जनाब जो सबसे पहले नंबर पर लाइन में खड़े हैं वह तो रात ग्यारह बजे से आकर ही स्कूल के गेट पर जम गये और पहले नंबर पर कब्जा कर लिया और तब से डटे हुए हैं। यहीं पर उन्होंने खाना खाया। उनकी पत्नी आकर खाना दे गई और वो अपने साथ चादर भी लेकर आए और रात भार चादर ओढ़े बैठे रहे। उनके पीछे वाले लोग भी अपने साथ पूरा बंदोबस्त कर के आए थे।

रात में ही बीच 50 से अधिक लोगों ने वहां पर डेरा जमा लिया था। और सुबह होते होते चार बजे से लाइन बढ़नी शुरू हो गई। सुबह आठ बजे तक तो लाइन मुख्य रोड तक जा पहुंची। आठ बजे जैसे ही गेट खुला अफरातफरी का माहौल पैदा हो गया। किसी तरह वाचमैन ने भीड़ पर नियंत्रण किया। फॉर्म बंटने शुरू हुये। लगभग 800 लोगों को फार्म बांटे गए। फार्म का शुल्क ₹200 था। अब इन्हीं फॉर्म में से छंटाई होगी और कट ऑफ लिस्ट बनेगी। यानि फॉर्म पर भी अच्छी खासी कमाई।

Answered by Hansika4871
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"नर्सरी कक्षा में प्रवेश दिलाने हेतु लंबी लाइन में खड़े परेशान अभिवाहको के स्थिति का ड्रश्यालेखन किया गया है"

आजकल के भागते जीवन में प्रतियोगिता बहोत बढ़ चुकी है। और इस प्रतियोगिता से जुजते लोग हमें हर दिशा दिखाई देते है। ऑक्सफोर्ड इंटरनेशनल स्कूल में नर्सरी के बच्चो की एडमिशन प्रक्रिया चालू हो चुकी थी और यह बात का एहसास होते ही पलको ने लंबी कतार लागना शुरू कर दी। एडमिशन फॉर्म १५ तारिक को सुबह १० बजे से मिलना चालू होने वाले थे और यह बात सुनकर रमेश सिंह १४ तारिक को रात के ११ बजे ही जाकर गेट के सामने खड़े होने वाले पहले आदमी थे।

उनके आने के बाद और पालक आना चालू होगाए। कुछ कुछ लोगो ने बैठनेके कुर्सियां अथवा सोने के लिए कम्बल साथ में लाए थे। जैसे जैसे समय बीत रहा था वैसे कतार भी लंबी होती जा रही थी। सुबह के १० बजे देखा तो २००-३०० लोगो की कतार लग चुकी थी और फॉर्म बातना चालू होगया। ऐसे प्रतियोगिता से सामान्य आदमी को रोज गुजरना पड़ता है।

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