History, asked by parthapal5066, 10 months ago

Narad mooni aur swami prabhupada ke bich kitne adhayatmik guru hai

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Answered by khanhusain6996
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नारद(Narad) जी एक बार विचरण करते हुए हिमालय के निकट पहुंचे हैं। एक सुंदर गुफा देखि हैं। पर्वत, नदी और वन के (सुंदर) विभागों को देखकर नादरजी का लक्ष्मीकांत भगवान के चरणों में प्रेम हो गया। मन में आया की में भगवान का तप करूँ।

ऐसी समाधि लगी की इंद्र(indra) को चिंता हो गई। नारद जी का तप जब बढ़ा तो इंद्र घबरा गया। और इंद्र ने कामदेव(kaamdev) को नारदजी की समाधि खोलने के लिए भेजा। कामदेव ने अपनी माया से वहाँ वसन्त ऋतु को उत्पन्न किया। तरह-तरह के वृक्षों पर रंग-बिरंगे फूल खिल गए, उन पर कोयलें कूकने लगीं और भौंरे गुंजार करने लगे। कामाग्नि को भड़काने वाली तीन प्रकार की (शीतल, मंद और सुगंध) सुहावनी हवा चलने लगी। रम्भा आदि नवयुवती देवांगनाएँ, जो सब की सब कामकला में निपुण थीं वे बहुत प्रकार की तानों की तरंग के साथ गाने लगीं और हाथ में गेंद लेकर नाना प्रकार के खेल खेलने लगीं। कामदेव अपने इन सहायकों को देखकर बहुत प्रसन्न हुआ और फिर उसने अनेक प्रकार के मायाजाल किए।:

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