Narad Muni aur Swami prabhupad ke bich kitne aadhyatmik Guru hai
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दुनिया के पहले पत्रकार
देव ऋषि नारद या नारद मुनि ब्रह्मा जी के पुत्र और भगवान विष्णु के बहुत बड़े भक्त हैं। वह इधर की बात उधर करके, दो लोगों के बीच आग लगाने के लिये काफी प्रसिद्ध हैं। माना जाता हे की उन्हे सब खबर रहती हे की सम्पूर्ण ब्रहमाण्ड मैं कहाँ क्या हो रहा हे। मूंह पे नारायण नारायण और हाथ मैं वीणा लिये, नमक-मिर्च लगा के बातैं फैलाना और लड़ाई करवाना उनका गुर हे। बल्कि माने तो उन्हे दुनिया का सबसे पहला पत्रकार माना गया
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आज के नारद
आम तौर पे यदि कोई दो लोगों के बीच लड़ाई कराये तो उसे 'नारद मुनी' की उपाधी दी जाती हे। विष्णु पुराण के एक आनंदमय श्लोक के अनुसार "नरम नर समूहाँ कालहेना ध्यति खण्डयाटीत" जिसका मतलब हे की जो दो लोगों के बीच कलह करवाये वा नारद हे। लेकिन नारद जी की नीयत हमेशा साफ होती हे। वो जो कुछ भी करते हैं प्रभु की इच्छा अनुसार ही करते हैं, कभी बदले की भावना या कभी किसी को नुकसान पोहचाने की भावना से नहीं।
नारद मुनी का व्यक्तित्व3/19
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नारद मुनी का व्यक्तित्व
नारद मुनी का समझना आसान नहीं हे। यूं तो वे हमेशा खुश और आनन्दित दिखते हैं पर वे काफी संजीदा और विद्वान भी हैं। हिन्दू पौराणिक कथाओं की मानैं तो उन्होने भगवान विष्णु के कई काम पूरे किये हैं। नारद जी को विष्णु का संदेशवाहक माना गया हे। वे हमेशा तीनो लोकों मैं घूमते रेहते हैं और देव, दानव और मानव को जानकारीदेते रहते हैं। शब्दकल्पद्रुमा मैं उन्हे भक्ति की बातैं बताने वाला माना गया हे "नरम परमात्मा विषयकाम ज्ञानं ददाति इति नारदः" आइये नारद मुनी से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियाँ पढ़ैं...
जालंधर और नारद मुनि4/19
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जालंधर और नारद मुनि
जालंधर नाम के राक्षस को समुद्रा ने पाला था, इसलिये लक्ष्मी जी, जो समुद्र की बेटी हैं, उनका जालंधत के प्रति भाई जैसा प्रेम था. जब जालंधर बड़ा हुआ तो वह एक अन्यायी, क्रूर और शक्तिशाली राजा बना। उसने सभी देवताओं को हरा कर स्वर्ग पर क़ब्ज़ा कर लिया। विष्णु जी, देवो लक्ष्मी के विरोध के कारण कुछ नहीं कर पा रहे
जालंधर और नारद मुनि5/19
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जालंधर और नारद मुनि
नारद मुनी ने जालंधर के लिये दो समस्या खड़ी कर दी. उन्होने शक्ति मैं चूर जालंधर को कहा की ना सिर्फ शिवा इस दुनिया मैं सबसे धनवान और सम्रद्ध हैं बल्कि उनकी पत्नी पर्वती भी दुनिया की सबसे सुन्दर स्त्री हैं। जालंधर पार्वती माता को शादी के लिये मानने लगा और भगवान शिव से युध् की तैय्यारी करने लगा। आखिर मैं शिव ने जालंधर को मार के दुनिया को उसके आतंक से मुक्ति दिलवाई।
नारद मुनि और स्वामी प्रभुपाद के बीच कितने आध्यात्मिक गुरु हैं?
नारद मुनि और प्रभुपाद दोनों के एक ही आध्यात्मिक गुरु हैं, जो भगवान विष्णु या भगवान श्रीकृष्ण है। चूँकि भगवान श्रीकृष्ण को भगवान विष्णु का ही अवतार माना जाता है, इसलिए दोनों एक ही ईश्वर के दो रूप हैं।
नारद के आराध्य और गुरु भगवान विष्णु रहे हैं। नारद मुनि हमेशा नारायण नारायण का जाप करते रहते हैं और वह विष्णु भक्ति के लिए जाने जाते हैं।
श्रील प्रभुपाद जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावना अमृत संघ यानी इस्कॉन की स्थापना की थी, उनके गुरु स्वामी सच्चिदानंद थे। उन्होंने स्वामी सच्चिदानंद महाराज से दीक्षा ली और हिमालय पर्वत पर कई वर्षों तक तपस्या की।
वह श्रीकृष्ण की भक्ति के लिए जाने जाते हैं और उन्होंने श्रीकृष्ण के भक्ति के प्रचार-प्रसार करने के लिए इस्कॉन की स्थापना की।
आज इस्कॉन की विश्व के लगभग सभी प्रमुख देशों में शाखाएं हैं और कृष्ण भक्ति के प्रचार-प्रसार का कार्य इन शाखाओं के माध्यम से जोर शोर से हो रहा है।
इस तरह नारद मुनि और श्रील प्रभुपाद दोनों के गुरु श्रीकृष्ण या भगवान विष्णु को माना जा सकता है।
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