naram sabd main naya pratya joadkar sabd banaiye
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Answer:त्यय की परिभाषा ( Definition of Suffix)
उपसर्गों की तरह प्रत्यय भी भाषा के लघुत्तम,अर्थवान तथा बद्ध रूप में होते है, जिसमें उपसर्ग तथा प्रत्यय दोनों का प्रकार्य भी एक समान होता है। और दोनों ही नए—नए शब्दों का निर्माण में अपनी—अपनी प्रमुख भूमिका निभाते है। दोनों में अतंर केवल इस बात को लेकर है कि उपसर्ग शब्दों के प्रारम्भ में लगते हैं, तथा प्रत्यय शब्दों के अंत में लगते है। नए शब्दों की रचना में प्रत्यय अहम भूमिका निभाते है। ये शब्दों के पीछे लगते है।
उदहारण के लिए :—
मुख + डा—— मुखडा
सोना + आर——सुनार
+ वान— धनवान
गरीब + ई —— गरीबी
सॉंप + एरा— सपेरा
तॉंगा + वाला— तॉंगेवाला
प्रत्यय का अर्थ(Meaning of suffix)
ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के अंत मेें लगकर उसके अर्थ में नया रूप देते हैं,वह प्रतयय कहलाते है।
सरल शब्दों में—): प्रत्यय उन शब्दों को कहते हैं जो शब्दांश किसी शब्द के अन्त में जुड़कर उसके अर्थ तथा भाव में परिवर्तन या विशेषता ला देते है। उन्हें प्रत्यय कहते है।
दूसरे शब्दों में —): प्रत्यय दो शब्दों से मिलकर बना होता है – प्रति +अय। प्रति का अर्थ होता है ‘ साथ में ,पर बाद में ‘ और अय का अर्थ होता है ‘ चलने वाला ‘।
अत: प्रत्यय का अर्थ होता है– “साथ में पर बाद में चलने वाला।” जिन शब्दों का स्वतंत्र अस्तित्व नहीं होता वे किसी शब्द के पीछे लगकर उसके अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं।
अर्थात “शब्द निर्माण के लिए शब्दों के अंत में जो शब्दांश जोड़े जाते हैं वही प्रत्यय कहलाते हैं”।
जैसे——
तैर + आक—— तैराक
+ आर———लुहार
लकड़ +हारा———लकडहारा
थाल + ई————— थाली
इन शब्दों में” तैर,लोहा,लकड,और थाल” मूल शब्द है। इनके अंत में क्रमश:” आक,आर,हारा,और ई “शब्दांश जोडे गए हैं। मूल शब्दों के अंत में शब्दांश जोडने से क्रमश: “तैराक,लुहार,लकडहारा,थाली” शब्दों की रचना हुई है।
“आक,आर,हारा,और ई” ऐसे शब्दांश हैं- जो मूल शब्दों के अंत में जुडकर उनके अर्थ में परिवर्तन ला देते है। व्याकरण में ये शब्दांश प्रत्यय कहलाते है। अत: जो शब्दांश शब्दों के अंत में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं।
Explanation:
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Explanation:
नरम +ता = नरमता
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