नरम दल और गरम दल में क्या अंतर है भगत सिंह किस दल में नेता थे
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नरम दल और गरम दल में क्या अंतर है भगत सिंह किस दल में नेता थे
भारत की स्वाधीनता संग्राम के समय कांग्रेस 1905 के सूरत अधिवेशन में दो भागों में विभाजित हो गई। इसमें एक नरम दल था और दूसरा गरम दल था।
नरम दल और गरम दल में मुख्य अंतर यह था...
नरम के लोग अंग्रेजों के सहयोग से भारत की आजादी चाहते थे और अंग्रेजों के सहयोग से ही अंग्रेज सरकार के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे। वे अंग्रेजों द्वारा लाई गई शिक्षा एवं तकनीकी प्रभावित थे और उनके अनुसार अंग्रेंजों के साथ मिलकर सरकार बनानी चाहिए थी।
गरम दल के नेता पूरी आजादी चाहते थे। वह अंग्रेजों को अपने देश में किसी भी कीमत पर नहीं चाहते थे और विशुद्ध रूप से देसी सरकार की स्थापना करना चाहते थे।
नरम दल के नेता जहां अप्रत्यक्ष रूप से अंग्रेजों का समर्थन करते थे और अंग्रेजों के साथ एक संबंध बनाकर रखते थे। वही गरम दल के नेता पूरी तरह अंग्रेजों के विरुद्ध थे और देश से अंग्रेजों को उखाड़ फेंकना चाहते थे।
नरम दल के नेता शांति और अहिंसात्मक तरीके से आजादी लेने के पक्षधर थे, वही गरम दल के नेता लड़कर आजादी लेने के पक्षधर थे।
भगत सिंह गरम दल के नेता थे।
उसके अलावा बाल गंगाधर तिलक, चंद्रशेखर आजाद, विपिन चंद्र पाल, लाला लाजपत राय, सुभाष चंद्र बोस, सुखदेव, राजगुरु आदि जैसे नेता गरम दल के नेता थे।
जबकि नरम दल नेताओं में महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, गोपाल कृष्ण गोखले जैसे नेता थे।