नरमपंथी एवं गरमपंथी कांग्रेसियों की नीतियों एवं कार्यकर्मो का अन्तर स्पष्ट
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गरम दल भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के अन्दर ही सदस्यों के मतभेद के कारण उपजा एक धड़ा था जिसके नेता लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और विपिनचंद्र पाल थे। मतभेद बढ़तें गये तथा 1907 के कांग्रेस के सूरत अधिवेशन में कांग्रेस 'नरमदल' व गरमदल' में विभाजित हो गई। ...
नरम दल की शुरुआत भारत की आजादी से पूर्व भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के दो खेमों में विभाजित होने के कारण हुई l जिसमें एक खेमें के समर्थक बाल गंगाधर तिलक थे और दूसरे खेमें के मोतीलाल नेहरू l इनमें सरकार बनाने को लेकर मतभेद था। मोतीलाल नेहरू चाहते थे की भारत की सरकार अंग्रेज़ो के साथ कोई संयोजक सरकार बने जबकि गंगाधर तिलक कहते थे की अंग्रेज़ों के साथ मिलकर सरकार बनाना तो भारत की जनता को धोखा देना होगा l इस मतभेद के कारण लोकमान्य तिलक कांग्रेस से निकल गए और उन्होंने गरम दल बनाया
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