Hindi, asked by AnupBrahmne, 1 year ago

Naresh mehta ki kavita 'Mrittika'

Answers

Answered by Sameerabhi
53
मृत्तिका

मैं तो मात्र मृत्तिका हूँ -
जब तुम
मुझे पैरों से रौंदते हो
तथा हल के फाल से विदीर्ण करते हो
तब मैं -
धन-धान्य बनकर मातृरूपा हो जाती हूँ।
जब तुम
मुझे हाथों से स्पर्श करते हो
तथा चाक पर चढ़ाकर घुमाने लगते हो
तब मैं -
कुंभ और कलश बनकर
जल लाती तुम्हारी अंतरंग प्रिया हो जाती हूँ।

जब तुम मुझे मेले में मेरे खिलौने रूप पर
आकर्षित होकर मचलने लगते हो
तब मैं -
तुम्हारे शिशु हाथों में पहुंच प्रजारूपा हो जाती हूँ।

पर जब भी तुम
अपने पुरुषार्थ-पराजित स्वत्व से मुझे पुकारते हो
तब मैं -
अपने ग्राम्य देवत्व के साथ चिन्मयी शक्ति हो जाती हूँ
(प्रतिमा बन तुम्हारी आराध्या हो जाती हूं)
विश्वास करो
यह सबसे बड़ा देवत्व है, कि -
तुम पुरुषार्थ करते मनुष्य हो
और मैं स्वरूप पाती मृत्तिका।

ShivaniLokhande: very nice
Similar questions