nari ke itihas and vertaman ke balidaano mai aantar
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नारी पर जो बंधन/सीमा नियंत्रण थे, वह इन सबसे मुक्ति पा रही है। वर्तमान समाज में अर्थ प्रधान संस्कृति का बोलबाला है। विकास के नाम पर नारी स्वच्छंद जीवन व्यतीत कर रही है। नारी-जीवन मूल्यों में आमूल परिवर्तन हुआ है भारत में व्यव्साइक शिक्षा हासिल करने वाली महिलाएँ दुनिया के किसी भी मुल्क से ज्यादा हैं !
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