nari sashaktikaran per nibandh
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नारी आज शक्तिशाली, प्रतिष्ठित एवम् समान्नित स्थिति में है। यह सर्वविदित तथ्य है कि नारी शक्ति का स्वरूप है और वह अपनों के लिए जान कि बाज़ी लगा भी देती है और दुश्मन कि जान ले भी सकती है। नारी इस जीवन कि वह रचना है जो शक्ति का साक्षात अवतार है। धेर्य, सहनशीलता कि प्रतिमा है, जिसने माँ दुर्गा के अवतार मे देवताओ को त्रास देने वाले राक्षसो का वध किया था। “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, रमानते तत्र देवता" अर्थात जहा नारी की पूजा की जाती है, वहाँ देवताओ का वास होता है। प्राचीन काल के इतिहास मे नारी का पद परिवार मे अत्यंत महत्वपूर्ण था, ग्रहस्ती का कोई भी कार्य उनकी सहमति के बिना नहीं किया जा सकता था । न केवल धर्म या समाज बल्कि रण क्षेत्र मे भी नारी अपने पति- परिवार का सहयोग करती थी। नारी वीरता एवं साहस से भरी कहानियो से इतिहास भरा पड़ा। नारी न कभी झुकी है न आगे झुकेगी वह सिर्फ अपनों के लिए झुकती है, एवं अपनों कि खुशी क लिए लड़ती है। उदारण जैसे रानी
लक्ष्मी बाई, कस्तूरबा गांधी आदि नारियो ने अपने जीवन के अमूल्य वक़्त अपनों कि सुरक्षा के लिए लगा दिया, आज भी इन्हे याद किया जाता है | आज नारी नरो के समान्तर पद अधिकार प्राप्त करती हुई नरो को चुनोती दे रहीं हैं। आज के युग मे भी कई अनेकों शक्तिशाली
पदों को महिलाये सम्हाल रही है। आज नारी निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ रही है। भावुकता, सहनशीलता, अहिंसा जैसे गुणो को स्वयम से न अलग करते हुए वह पुरुष प्रधानता के समाज को बदल रही है। इसलिए सभी को नारी का सम्मान करना चाहिए अथवा उनकी
शक्तियों को कमजोरी के रूप मे नहीं देखना चाहिए। नारी से ही जीवन है, धरती है, शिक्षा है एवं नारी ही शक्ति है ।