nari shikcha ka pastavna
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शिक्षा नारी को आत्मनिर्भर बनाने में सहायक होती है और उसमे स्वालम्बन के गुणों का भी विकास करती है। अर्थात् नारी स्वयं विदुषी होते हुए अपनी सन्ता को सुशिक्षित बनाती है। ... किसी देश की नागरिक होने के नाते शिक्षा प्राप्त करना प्रत्येक स्त्री का मूल अधिकार है और जो देश की प्रगति, उन्नति एवं विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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प्रस्तावना:- हमारे विद्वान ने नारी की कई तरह से गलत ठहराया है और कहा है नारियो में सदैव ही कुछ अवगुण हमेशा ही विद्धमान रहते है। उनमें से गोस्वामी तुलसीदास ने साफ- साफ कहा था कि नारी में आठ अवगुण सदैव रहते हैं। उसमें साहस, चपलता, झूठापन, माया, भय, अविवेक, अपवित्रता और कठोरता खूब भरी होती है। चाहे कोई भी नारी क्यों न हो, पर उन्ही विद्वानों ने उनकी बहुत पर क्यों नारी को हमेशा ही कमजोर और दयनीय ही समजा जाता रहा है। जबकि नारी ने अपने आप को सभी जगह साबित करके दिखाया है। क्यों नारी को एक अबला का नाम दिया जाता रहा है और उसके बारे में कहा जाता रहा है
“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी।
आँचल में है दूध और आँखों में पानी”
और ये सब नारी के बारे में क्यों कहा जाता है। क्योंकि आज लोगों ने हमारे शास्त्रों और ज्ञान को भुला दिया है पर अब वो समय बीत गया जब नारी को अबला कहा जाता था। आज नारी की स्थिति काफी बदल चुकी है और उसने अपने आप को हर जगह अपना स्थान बना कर दिखाया।
शिक्षा का प्रचार:- आज हमारे भारत देश मे शिक्षा का काफी प्रचार हो गया है। नवीनतम आंकड़ो के अनुसार भारत की सम्पूर्ण जनसंख्या का करीब 73 प्रतिशत भाग शिक्षित है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 45 में ये प्रावधान है, कि 14 वर्ष तक कि आयु के बच्चो को मुफ्त शिक्षा देना राज्य का कर्तव्य है। भारत मे महिलाओ का 64.6 प्रतिशत भाग शिक्षित है। इस प्रतिशत में शहरी महिलाओं की संख्या अधिक है। स्वतंत्रता के उपरांत हमारे देश मे शिक्षा का व्यापक प्रचार हुआ है। केरल, मिजोरम, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, आदि राज्यो में शिक्षा का प्रतिशत बढ़ा है। केरल देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां के कोट्टायम-एनारकुलम जैसे जिलों में शत-प्रतिशत शिक्षित रहते है।
नारियो में शिक्षा की कमी के अनेक कारण रहे है। सबसे बड़ा कारण तो हमारी सदियों की गुलामी थी, जिसकी वजह से लड़कियों को अंग्रेजों के भय के कारण घर से बाहर नही निकलने दिया जाता था और उनके जिम्मे चूल्हा, चौका, घर का इंतजाम ओर बच्चों को जन्म देना तथा उनका लालन-पालन था। समय बदला और आज महिलाएं हर दिशा में आगे आ रही है।
प्राचीन भारत मे महिलाओं का स्थान:- प्राचीन भारत मे महिलाएं का स्थान समाज मे काफी महत्वपूर्ण था। महिलाएं भी पुरुषों के साथ यज्ञों में भाग लेती थी, युधो में जाति थी, शाश्त्रार्थ करती थी। धीरे धीरे महिलाओं का स्थान पुरुषों के बाद निर्धारित किया गया तथा पुरुषों ने महिलाओं के लिए मनमाने नियम बनाये ओर उनको अपना जीवन बिताने के लिए पिता, पति तथा पुत्र का सहारा लेने की प्रेरणा फैल गई। आज से शताब्दियों पूर्व स्त्रियों को अपना पति चुनने की स्वतंत्रता थी। पिता स्वयम्वर सभाओं का आयोजन करते थे, जिसमे लड़की अपनी इच्छा से अपने पति का वर्ण करती थी। इस प्रकार की सुविधाएं इसलिए दी गई थी, कि वे शिक्षित थी और अपना अच्छा तथा बुरा वे सही ढंग से सोचने में सक्षम थी। मुगलो के शासनकाल में शिक्षा, कला, साहित्य तथा अन्य विविध गुणों को प्राप्त करने की परिस्थितिया मिट सी गई थी।
अंग्रेजी शासन में शिक्षा का प्रचार:- अंग्रेजी शासन में शिक्षा प्रचार-प्रसार तो बढ़ा किंतु जैसी शिक्षा भारत के लिए उपयोगी हो सकती थी। उसे अंग्रेजों ने सुलभ नही बनाया। बाबू, क्लर्कों तथा छोटे दर्जे की सेवाओ के लिए उन्होंने अंग्रेजी सीखनी शुरू की तथा जिन परिवारों ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया उनको विशेष सुविधाये देकर वे अपना शासन चलाने मात्र के लिए व्यवसायिक शिक्षा की शुरुआत की। शिक्षा की व्यवस्था पर व्यंग करते हुए कविवर मैथलीशरण गुप्त ने लिखा था।
शिक्षे! तुम्हारा नाश हो तुम नोकरी के हित बनी।
स्वतंत्रता आंदोलन में शिक्षा का प्रचार:- भारत मे स्वतंत्रता आंदोलन ने जोर पकड़ा। महिलाओं की शिक्षा के लिए कई स्वदेशी संगठनों ने अपना योगदान देना शुरू किया। रत्न, भूषण, प्रभाकर की परीक्षाएं पंजाब विश्वविद्यालय द्वारा शुरू की गई। हिंदी साहित्य सम्मेलन प्रयाग द्वारा प्रथमा, मध्यमा, विशारद, साहित्य रत्न आदि परीक्षाएं ली जाने लगी। प्रयाग से विधाविनोदिनी परीक्षा जिसमे केवल महिलाएं ही बैठ सकती थी। गांधी जी ने राष्ट्र भाषा हिंदी के व्यापक प्रसार -प्रचार के लिए दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा जैसी संस्था का गठन किया जो, यधपि बिना किसी भेदभाव के लड़के लडकियो को हिंदी माध्यम से विभिन्न्न विषयो की शिक्षा देती है।
आज हमारे देश मे शिक्षा का महत्व:- आज हमारे देश की योग्य लडकिया देश विदेश में रहकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही है।वे कुशल डॉक्टर, इंजीनियर,आई.ए. एस. अफसर तथा पुलिस की बड़ी नोकरियो एवं सेना में काम कर रही है। कुछ ऐसे सेवा के क्षेत्र भी है, जिसमे महिलाएं अपनी अग्रणी भूमिका निभाती है। नर्सिंग, शिक्षा, समाज तथा समुदाय सेवा में महिलाओ की संख्या काफीदेश