Hindi, asked by satyamsharmajscm, 10 months ago

nari shiksha ka mehtav​

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Answered by rocksmonis007
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Answer:नारी के विषयों में हमारे विद्वानों और विचारकों ने अलग अलग विचार प्रस्तुत किए हैं। गोस्वामी तुलसीदान ने नारी के अन्तर्गत बहुत प्रकार के दोषों की गणना की थी। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा कहा गया नारी का सद्चरित्र और उज्जवल चरित्र का उदघाटन नहीं करता है, अपितु इससे नारी के दुष्चरित्र पर ही प्रकाश पड़ता है। गोस्वामी तुलसीदास ने साफ साफ कहा था कि नारी में आठ अवगुण सदैव रहते हैं। उसमें साहस, चपलता, झूठापन, माया, भय, अविवेक,  होती है। चाहे कोई भी नारी क्यों न होये-

साहस, अनृत, चपलता, माया।

भय, अविवेक, असौच, अदाया

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