nari shiksha ka mehtav in hindi
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नारी शिक्षा का महत्त्व
जहाँ तक शिक्षा का प्रश्न है यह तो नारी हो या पुरुष दोनों के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा का कार्य तो व्यक्ति के विवेक को जगाकर उसे सही दिशा प्रदान करना है। शिक्षा सभी का समान रूप से हित-साधन किया करती है। परन्तु फिर भी भारत जैसे विकासशील देश में नारी की शिक्षा का महत्त्व इसलिए अधिक है कि वह देश की भावी पीढ़ी को योग्य बनाने के कार्य में उचित मार्ग-दर्शन कर सकती है।
बच्चे सबसे अधिक माताओं के सम्पर्क में रहा करते हैं। माताओं के संस्कारों, व्यवहारों व शिक्षा का प्रभाव बच्चों के मन-मस्तिष्क पर सबसे अधिक पड़ा करता है। शिक्षित माता ही बच्चों के कोमल व उर्बर मन-मस्तिष्क में उन समस्त संस्कारों के बीज बो सकती है जो आगे चलकर अपने समाज, देश और राष्ट्र के उत्थान के लिए परम आवश्यक हुआ करते हैं।
नारी का कर्त्तव्य बच्चों के पालन-पोषण करने के अतिरिक्त अपने घर-परिवार की व्यवस्था और संचालन करना भी होता है। एक शिक्षित और विकसित मन-मस्तिष्क वाली नारी अपनी आय, परिस्थिति, घर के प्रत्येक सदस्य की आवश्यकता आदि का ध्यान रखकर उचित व्यवस्था एवं संचालन कर सकती है। अशिक्षित पत्नी होने के कारण अधिकांश परिवार आज के युग में नरक के समान बनते जा रहे हैं। अतः विद्वानों का कथन है कि गृहस्थी के कार्य को सुचारु रूप से चलाने के लिए शिक्षा की अत्यन्त आवश्यकता है।
विश्व की प्रगति शिक्षा के बल पर ही चरम सीमा तक पहुँच सकी है। विश्वसंघर्ष को जीतने के लिए चरित्र-शस्त्र की आवयश्कता पड़ती है। यदि नारी जाति अशिक्षित हो, तो वह अपने जीवन को विश्व की गति के अनुकूल बनाने में सदा असमर्थ रही है। यदि वह शिक्षित हो जाए तो उसका पारिवारिक जीवन स्वर्गमय हो सकता है और उसके बाद देश, समाज और राष्ट्र की प्रगति में वह पुरुषों के साथ कन्धे-से-कन्धा मिलाकर चलने में समर्थ हो सकती है। भारतीय समाज में शिक्षित माता गुरु से भी बढ़ कर मानी जाती है, क्योंकि वह अपने पुत्र को महान् से महान् बना सकती है।
आज स्वयं नारी समाज के सामने घर-परिवार, परिवेश-समाज, रीति-नीतियों तथा परम्पराओं के नाम पर जो अनेक तरह की समस्याएँ उपस्थित हैं उनका निराकारण नारी-समाज हर प्रकार की शिक्षा के धन से सम्पन्न होकर ही कर सकती है। इन्हीं सब बुराइयों को दूर करने के लिए नारी शिक्षा अत्यन्त आवश्यक है। सशिक्षा के द्वारा नारी जाति समाज में फैली कुरीतियों व कुप्रथाओं को मिटाकर अपने ऊपर लगे लाँछनों का सहज ही निराकरण कर सकती है।
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Density, mass of a unit volume of a material substance. The formula for density is d = M/V, where d is density, M is mass, and V is volume. Density is commonly expressed in units of grams per cubic centimetre. ... Density can also be expressed as kilograms per cubic metre (in MKS or SI units).