Political Science, asked by kdev8636, 11 months ago

Narmada bachao ke aandolan ke paksh aur vipaksh mein tark de

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Answered by bhimika09
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Answer:

नर्मदा बचाओ आंदोलन भारत में चल रहे पर्यावरण आंदोलनों की परिपक्वता का उदाहरण है। इसने पहली बार पर्यावरण तथा विकास के संघर्ष को राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बनाया जिसमें न केवल विस्थापित लोगों बल्कि वैज्ञानिकों, गैर सरकारी संगठनों तथा आम जनता की भी भागीदारी रही। नर्मदा नदी पर सरदार सरोवर बांध परियोजना का उद्घाटन 1961 में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने किया था। लेकिन तीन राज्यों-गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान के मध्य एक उपयुक्त जल वितरण नीति पर कोई सहमति नहीं बन पायी। 1969 में, सरकार ने नर्मदा जल विवाद न्यायधिकरण का गठन किया ताकि जल संबंधी विवाद का हल करके परियोजना का कार्य शुरु किया जा सके। 1979 में न्यायधिकरण सर्वसम्मति पर पहुँचा तथा नर्मदा घाटी परियोजना ने जन्म लिया जिसमें नर्मदा नदी तथा उसकी 41 नदियों पर दो विशाल बांधों - गुजरात में सरदार सरोवर बांध तथा मध्य प्रदेश में नर्मदा सागर बांध, 28 मध्यम बांध तथा 3000 जल परियोजनाओं का निर्माण शामिल था। 1985 में इस परियोजना के लिए विश्व बैंक ने 450 करोड़ डॉलर का लोन देने की घोषणा की सरकार के अनुसार इस परियोजना से मध्य प्रदेश, गुजरात तथा राजस्थान के सूखा ग्रस्त क्षेत्रों की 2.27 करोड़ हेक्टेयर भूमि को सिंचाई के लिए जल मिलेगा, बिजली का निर्माण होगा, पीने के लिए जल मिलेगा तथा क्षेत्र में बाढ़ को रोका जा सकेगा। नर्मदा परियोजना ने एक गंभीर विवाद को जन्म दिया है। एक ओर इस परियोजना को समृद्धि तथा विकास का सूचक माना जा रहा है जिसके परिणाम स्वरूप सिंचाई, पेयजल की आपूर्ति, बाढ़ पर नियंत्रण, रोजगार के नये अवसर, बिजली तथा सूखे से बचाव आदि लाभों को प्राप्त करने की बात की जा रही है वहीं दूसरी ओर अनुमान है कि इससे तीन राज्यों की 37000 हेक्टेयर भूमि जलमग्न हो जाएगी जिसमें 13000 हेक्टेयर वन भूमि है। यह भी अनुमान है कि इससे 248 गांव के एक लाख से अधिक लोग विस्थापित होंगे। जिनमें 58 प्रतिशत लोग आदिवासी क्षेत्र के हैं।

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