nasa kahani ke Pramukh patra ka chitran in hindi
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कहानी में मुख्य पात्र दो ही हैं–ईश्वरी तथा बीर। इन दो पात्रों के अतिरिक्त कुछ पात्र क्षणभर के लिए उपस्थितहोते हैं। परन्तु अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं। रियासत अली और रामहरख ऐसे ही पात्र हैं। उन्हें प्रथम दर्शन की बीर पर रईसी पर विश्वास नहीं होता परन्तु सारी बात को ईश्वरी संभालता है। एक अन्य पात्र ठाकुर भी बड़ा प्रभावशाली है। सुराज की चर्चा से वह अपने असंतोष को व्यक्त करता है तथा उस युग की प्रतीक्षा लगाए बैठा है, जब भूमि का आबंटन गरीब-अमीर में समान रूप से हो जाएगा।
बीर का चरित्र मनोवैज्ञानिकता से सम्पृक्त है। साधनहीन व्यक्ति को जब कोई बड़प्पन दर्शाने, वह छद्म ही क्यों न हो, का अवसर मिलता है, तो वह उसी में धंसता चला जाता है। उसे पुन: चेतना तब प्राप्त होती है जब वह यथार्थ की भूमि पर पटक दिया जाता है। यह उसके मोहपाश में फंसने की कहानी भी है तथा साथ ही अंत में अपनी औकात में लौटने का सच भी। यह निर्धन की नियति, ललक एवं फटकार की श्रेष्ठ रचना है। ईश्वरी का चरित्र तो एक पारम्परिक रईस का खाका है, जो अपने वर्ग को दैवी अधिकार का हकदार मानता है तथा सामाजिक विषमता को एक स्वाभाविक एवं परमावश्यक सत्य स्वीकार करता है।
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