Hindi, asked by samayvermaaaa, 6 months ago

नस्ल क्या है गाय और बकरी ओके 4-4 नस्लो के नाम लिखिए और उनकी विशेषता लिखिए​

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नस्ल

नस्ल पालतू पशुओं का वर्गीकरण का एक सूचक है जिसमें उनके रूप-रंग, व्यवहार, अथवा किन्हीं अन्य लक्षणों के आधार पर, एक ही प्रजाति के जानवरों में भिन्न-भिन्न समूहों में वर्गीकृत किया जाता है।

गाय की 4 नस्ले उनकी विशेषताएं

1. अमृतमहल (कर्नाटक)

इस प्रजाति के गोवंश कर्नाटक राज्य के मैसूर जिले में पाये जाते हैं। इस नस्ल का रंग खाकी, मस्तक तथा गला काले रंग का, सिर और लम्बा, मुँह व नथुने कम चौड़े होते हैं। इस नस्ल के बैल मध्यम कद के और फुर्तीले होते हैं। गायें कम दूध देती है।

2. बचौर (बिहार)

इस नस्ल के गोवंश बिहार प्रांत के तहत सीतामढ़ी जिले के बचौर एवं कोईलपुर परगनां में पाये जाते हैं। इस जाति के बैलों का प्रयोग खेतों में किया जाता है। इनका रंग खाकी, ललाट चौड़ा, आंखें बड़ी-बड़ी और कान लटकते हुए होते हैं।

3. बर्गुर (तमिलनाडु)

बरगूर प्रजाति के गोवंश तमिलनाडु के बरगुर नामक पहाड़ी क्षेत्र में पाये गये थे। इस जाति की गायों का सिर लम्बा, पूँछ छोटी व मस्तक उभरा हुआ होता है। बैल काफी तेज चलते हैं। गायों की दूध देने की मात्रा कम होती है।

4. डांगी (महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश)

इस प्रजाति के गोवंश अहमद नगर, नासिक और अंग्स क्षेत्र में पाये जाते हैं। गायों का रंग लाल, काला व सफेद होता है। गायें कम दूध देती हैं।

बकरी की 4 नस्ले उनकी विशेषताएं

1. ब्लैक बंगालः

इस जाति की बकरियाँ पश्चिम बंगाल, झारखंड, असोम, उत्तरी उड़ीसा एवं बंगाल में पायी जाती है। इसके शरीर पर काला, भूरा तथा सफेद रंग का छोटा रोंआ पाया जाता है। अधिकांश (करीब 80 प्रतिशत) बकरियों में काला रोंआ होता है। यह छोटे कद की होती है वयस्क नर का वजन करीब 18-20 किलो ग्राम होता है जबकि मादा का वजन 15-18 किलो ग्राम होता है। नर तथा मादा दोनों में 3-4 इंच का आगे की ओर सीधा निकला हुआ सींग पाया जाता है। इसका शरीर गठीला होने के साथ-साथ आगे से पीछे की ओर ज्यादा चौड़ा तथा बीच में अधिक मोटा होता है। इसका कान छोटा, खड़ा एवं आगे की ओर निकला रहता है।

2. जमुनापारी

जमुनापारी भारत में पायी जाने वाली अन्य नस्लों की तुलना में सबसे उँची तथा लम्बी होती है। यह उत्तर प्रदेश के इटावा जिला एवं गंगा, यमुना तथा चम्बल नदियों से घिरे क्षेत्र में पायी जाती है। एंग्लोनुवियन बकरियों के विकास में जमुनापारी नस्ल का विशेष योगदान रहा है।

3. बारबरीः

बारबरी मुख्य रूप से मध्य एवं पश्चिमी अफ्रीका में पायी जाती है। इस नस्ल के नर तथा मादा को पादरियों के द्वारा भारत वर्ष में सर्वप्रथम लाया गया। अब यह उत्तर प्रदेश के आगरा, मथुरा एवं इससे लगे क्षेत्रों में काफी संख्या में उपलब्ध है।

4. सिरोहीः

सिरोही नस्ल की बकरियाँ मुख्य रूप से राजस्थान के सिरोही जिला में पायी जाती है। यह गुजरात एवं राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में भी उपलब्ध है। इस नस्ल की बकरियाँ दूध उत्पादन हेतु पाली जाती है लेकिन मांस उत्पादन के लिए भी यह उपयुक्त है। इसका शरीर गठीला एवं रंग सफेद, भूरा या सफेद एवं भूरा का मिश्रण लिये होता है। इसका नाक छोटा परन्तु उभरा रहता है। कान लम्बा होता है। पूंछ मुड़ा हुआ एवं पूंछ का बाल मोटा तथा खड़ा होता है। इसके शरीर का बाल मोटा एवं छोटा होता है। यह सलाना एक वियान में औसतन 1.5 बच्चे उत्पन्न करती है। इस नस्ल की बकरियों को बिना चराये भी पाला जा सकता है।

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