४)नस राष्ट्र का क्या लाभ होगा।
प्र.2 निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए
मानसरोवर सुभर जल हंसा केलि कराहि।
मुक्ताफल मुकता चुर्गे,अब उति अनत न जाहि ।।
प्रेमी ढूंढत मैं फिरों.प्रेमी मिलें न कोई ।
प्रेमी को प्रेमी मिर्ले,सब िवष अमृत होई।।
हस्ती चदिम ज्ञान को सहज दुलीचा डारि।
स्वान रूप संसार है भूकन दे झख माहि ।
पाखापरवी के कारनै सब जग रहा मुलान।
निरपख होई के हरि भर्जे, सोई संत सुजान ।।
हिंदु मुआ राम कहि मुसलमान, खुदार ।
कहे कबीर सो जीवता जो दुहू के निकटि न जाइ।।
काबा फिरि कासी भया,रामहि भया रहीम।
मोट चुन मैदा गया बैठि कबीरा जीम ।।
ऊँचे कुल का जनमिया जे करनी ऊँचे न होई।
सुबरन कलस सुरा भरा,साधु निंदा सोई।
1. मानसरोवर में कवि का क्या आशय है
2. इस संसार मे सच्चा संत कौन कहलाता है।
3. कवि ने सच्चे प्रेमी की क्या कसौटी बताई है।
4. तीसरे दोहे में कवि ने किस प्रकार के ज्ञान को महत्व दिया है।
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Answer:
1)मानसरोवर से कवि का आशय है-मन रूपी पवित्र सरोवर, जिसमें मनुष्य को स्वच्छ विचाररूपी जल भरा है। इस स्वच्छ जल में जीवात्मा रूप हंस, प्रभु-भक्ति में लीन होकर स्वच्छंद रूप से मुक्तिरूपी मुक्ताफल चुगते हैं।
2)कबीर के अनुसार सच्चा संत वही कहलाता है जो साम्प्रदायिक भेदभाव, सांसारिक मोह माया से दूर, सभी स्तिथियों में समभाव (सुख दुःख, लाभ-हानि, ऊँच-नीच, अच्छा-बुरा) तथा निश्छल भाव से प्रभु भक्ति में लीन रहता है।
3)कवि के अनुसार सच्चे प्रेमी की कसौटी यह है कि उससे मिलने पर मन की सारी मलिनता नष्ट हो जाती है। पाप धुल जाते हैं
4)तीसरे दोहे में कवि ने सांप्रदायिकता एवं भेदभाव रहित सच्चे ज्ञान की प्राप्ति को महत्त्व दिया है। ... मनुष्य इस ज्ञान को खोजने था पाने की जगह अन्य वस्तुओं की प्राप्ति में अपना समय बेकार में नष्ट करता रहता है।
Explanation:
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