नशाबन्दी पर निबन्ध | Write an essay on Prohibition of Liquor in Hindi
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मद्य सेवन मादकता तो प्रदान करता ही है, इसी के साथ वह व्यक्तित्व के विनाश, निर्धनता की वृद्धि और मृत्यु के द्वार भी खोलता है । अत: इस आसुरी प्रवृत्ति को समाप्त करना परमावश्यक है ।
मद्यपान से व्यक्ति कुछ क्षण को अपने को एवं संसार को भूल जाता है । मजदूर वर्ग अधिकतर इसी प्रवृत्ति के कारण मद्यपान करता है । दीपावली, होली, ईद जैसे कुछ धार्मिक उत्सवों पर लोग विशेष रूप से मद्यपान करते है । जहाँ साधारण लोग निम्न श्रेणी की घर की गन्ने के रस या शीरे की बनी शराब का सेवन करते हैं, वहीं पर धनवान लोग अंग्रेजी शराब का पान शान-शौकत से करते हैं ।
बड़े-बड़े प्रीतिभोजों तथा बरातों में अंग्रेजी शराब के जाम पर जाम चलते हैं । कुछ दादा लोग छोटी आयु के लोगों को अपने पैसों से शराब पिलाकर उनके अन्दर बुरी लत डाल देते हैं । बीड़ी, सिगरेट, गांजा, भांग या चरस पीने वालों को जब भरपूर नशा इन चीजों में प्राप्त नहीं होता है, तब वह मद्यपान की ओर अग्रसर होते हैं ।
आज देशी तथा विदेशी शराब की कुल खपत गांवों में 117 प्रतिशत तथा नगरों में 234 प्रतिशत की दर प्रतिवर्ष बढ़ रही है । यूरोप तथा अमेरिका के देशों में मद्यपान सामाजिक समस्या के रूप में उभर कर आया है । शराब उनके जीवन का एक अंग बन गयी है । भारत में जहाँ पहले आर्य ऋषि या देवता सोम रस का पान करते थे, वहाँ आज भारत में 52 प्रतिशत जनता मद्यपान करती है ।
मद्यपान से धन अपव्यय तथा शारीरिक शक्ति का ह्रास तो स्पष्ट ही होता है, इसके अतिरिक्त सामाजिक विघटन बढ़ता है तथा सामाजिक अव्यवस्था और अराजकता का विकास होता है । राष्ट्रपिता बापू ने कहा था- ” शराब सब बुराइयों की जननी है । इसकी आदत राष्ट्र को विनाश के कगार पर लाकर खड़ा कर देती है । ”
जो लोग कहते हैं कि शराब पीने से इन्द्रियों में ताजगी आ जाती है, हमारी पाचन शक्ति बढ़ती है, थोड़ी मात्रा में शराब टॉनिक का कार्य करती है, यह उनकी भ्रांति है । वास्तविकता यह है कि शराब के लगातार इस्तेमाल करने से मनुष्य के शरीर में अनेक रोग उत्पन्न हो जाते हैं । इसके पीने से पेट में आग-सी लग जाती है, आँखे जलने लगती हैं और धीरे- धीरे भूख समाप्त हो जाती है ।
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“नशाबंदी”
भूमिका:-> किसी भी राष्ट्र की शक्ति उसका युवा वर्ग होता है I यही युवा वर्ग यदि नशे की चपेट में आ जाए तो वह राष्ट्र स्वत: ही कमजोर हो जाएगा। नशा नाश है, जिंदगी के लिए अभिशाप है। लेकिन आज हमारा युवावर्ग इस दलदल में धंसता ही चला जा रहा है। नशे का सेवन करने से मनुष्य अपना दिमागी संतुलन खो बैठता है
किसी ने सच ही कहा है :-"नशे में जो डूबे उभरे न जिंदगानी लाखों में बह गए इस बोतल के बंद पानी में" I
युवाओं में बढ़ता नशे का प्रचलन:-> आज हमारे युवा वर्ग नशे की इस दलदल में धंसता ही चला जा रहा है। जो कि बहुत ही चिंता का विषय है। आज जिन बच्चों के हाथों में पेन होनी चाहिए थी कलम होनी चाहिए थी आज उन्हीं के हाथों में नशीले पदार्थ हैं। आज हमारा युवा वर्ग नशे की इस दरिया में नहा रहा है, लेकिन उसे नहीं पता कि एक दिन वह इसी में डूब कर मर जाएगा।
नशे के दुष्प्रभाव:-> नशे का प्रयोग करने के लिए ना जाने कितने तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। नशे के सेवन से वे अपना मानसिक संतुलन खो देता है, और अपराध कर बैठते हैं। नशे के कारण अनेक बीमारियां होती हैं और प्रतिदिन सैकड़ों लोगों की जान नशे की कारण ही जाती है।
नशे के प्रकार:-> बीड़ी, सिगरेट, खैनी, तंबाकू, गुटखा, शराब, अफीम, चरस, गांजा और न जाने और भी कितने प्रकार के नशों चलन हो रहा है । जिसमें मुख्य रूप से चिकित्सा पद्धति से लिया जाने वाला नशा भी है।
रोकथाम और उपाय:-> ऐसा नहीं है कि जो व्यक्ति नशे की चपेट में आ गया तो उससे बाहर कभी निकल ही नहीं सकता है। अपनी मजबूत इच्छाशक्ति के द्वारा नशे को त्यागा जा सकता है। आज हमारी सरकार भी इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रयासरत है, कई राज्यों में तो नशे की पदार्थों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। और दूसरे राज्य में भी शीघ्र होने वाला है। बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए और इन से होने वाली हानि के बारे में बताना चाहिए।
उपसंहार:-> नशा एक मकड़जाल की तरह फैलता जा रहा है, आओ मिलकर प्रण करें और नशे का त्याग करें, अपने राष्ट्र को सशक्त और मजबूत तथा समृद्ध बनाएं।