Natak ke anuvad ka varnan kijiye
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नाटक के अनुवाद का वर्णन.
किसी भी साहित्य में कहानियां उपन्यास, लघुकथाएं आदि के अपेक्षा नाटक का अनुवाद करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य होता है, क्योंकि साहित्य में नाटक समृद्ध साहित्य विधा है। इसमें संवादों की भरमार ता होती है, अभिनय होता है, दृश्यों का परिवर्तन होता है, नाट्य शैली होती है, इसलिए अनुवादक को नाटक के स्वरूप का व्यवहारिक ज्ञान होना आवश्यक होता है।
जितना कठिन कार्य किसी काव्य का अनुवाद करना होता है, लगभग नाटक का अनुवाद करना भी उतना ही कठिन कार्य होता है। नाटक की अनुवाद करना एक श्रमसाध्य और जटिल कार्य है। नाटक अनुवाद की समस्याओं पर अगर सैद्धांतिक नजरिए से विचार किया जाए तो नाटक एक ऐसी साहित्यिक विधा है, जो अन्य साहित्यिक विद्याओं विधाओं से स्वयं को अलग करती है। इस कारण नाटक के अनुवाद की समस्याओं का विवेचन करते समय साहित्य की अन्य विधाओं से अलग स्तर पर इसका विवेचन करना होता है।
नाटक अनुवाद की प्रक्रिया में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जैसे कि नाटककार की की सौंदर्य अनुभूति का भाषाई रूपांतरण अनुवाद में भी उसी अनुभूति का एहसास हो, नाटककार की निजता की रक्षा बनी रहे और नाटककार मूल रचना में जिस तरह का भाव पर आता है, वैसा ही अनुवाद में भाव बोध हो। भाषा पक्ष पर भी स्पष्ट ध्यान दिया जाए तथा नाटक की भाषा वैज्ञानिक हो।
नाटक के संवाद पात्रों के अनुरूप होते हैं, इस कारण में अक्सर समस्या पैदा आती है क्योंकि पात्रों के संवाद पात्रों के चरित्र को दर्शाते हैं और अनुवाद में इसी स्वरूप को प्रस्तुत करना होता है। नाटक के अनुवाद के लिए अनुवादक को रंगमंच की विद्या का ज्ञान होना भी अति आवश्यक है ताकि वह उसके तकनीक पक्षों को समझ सके और अपने नाट्य अनुवाद में स्पष्ट कर सके।