Hindi, asked by anathapa3377, 7 months ago

Natak sastra ki Rachna kisne ki

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Answered by ranurai58
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नाट्यशास्त्र नाट्य कला पर व्यापक ग्रंथ एवं टीका, जिसमें शास्त्रीय संस्कृत रंगमंच के सभी पहलुओं का वर्णन है। माना जाता है कि इसे तीसरी शताब्दी से पहले भरत मुनि ने लिखा था।

इसके कई अध्यायों में नृत्य, संगीत, कविता एवं सामान्य सौंदर्यशास्त्र सहित नाटक की सभी भारतीय अवधारणाओं में समाहित हर प्रकार की कला पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया है। इसका बुनियादी महत्व भारतीय नाटक को जीवन के चार लक्ष्यों, धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष के प्रति जागरूक बनाने के माध्यम के रूप में इसका औचित्य सिद्ध करना है।

दंत कथा

भरतमुनि के नाट्य शास्त्र के विषय में ऐसी दंत कथा है कि त्रेता युग में लोग दु:ख, आपत्ति से पीड़ित हो रहे थे। इन्द्र की प्रार्थना पर ब्रह्मा ने चारों वर्णों और विशेष रूप से शूद्रों के मनोरंजन और अलौकिक आनंद के लिए 'नाट्यवेद' नामक पांचवें वेद का निर्माण किया। इस वेद का निर्माण ऋग्वेद में से पाठ्य वस्तु, सामवेद से गान, यजुर्वेद में से अभिनय और अथर्ववेद में से रस लेकर किया गया। भरतमुनि को उसका प्रयोग करने का कार्य सौंपा गया। भरतमुनि ने 'नाट्य शास्त्र' की रचना की और अपने पुत्रों को पढ़ाया। इस दंत कथा से इतना तो अवश्य फलित होता है कि भरतमुनि संस्कृत नाट्यशास्त्र के आद्य प्रवर्तक हैं।

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