नदी का बहाव पर्वत पर कैसा होता है और नीचे आने पर कैसा हो जाता है
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लूनी नदी के स्त्रोत]] 'लू'णी यह नदी [अरावली] पर्वत के निकट अजमेर जिले के नाग पहाड (snake mount) से उत्पन्न होकर दक्षिण पश्चिम क्षेत्र में नागौर, जोधपुर, बाड़मेर राजस्थान में 511किलोमीटर प्रवाहित होते हुए, गुजरात [कच्छ] के रन में जाकर मिलती है। राजस्थान की नदियां]</ref>यह नदी जैतारण के लोटोती से भी निकलती है व रास से भी निकलती है इस नदी का पानी उद्गम स्थान से लेकर बालोतरा(बाडमेर) तक मीठा होता है लेकिन बालोतरा में पहुंचता है उसके बाद उसका पानी खारा हो जाता है| सहायक नदियाँ - जोजडी, मीठडी,लीलडी, बाण्डी, सुकडी जवाई, खारी,सगाई, सागी, गुहिया। > महाकवि कालिदास ने (अंत:सलिला) कहा था। >प्राचीन नाम {लवण्वती}
लूनी नदी पर अवस्थित बाँध - १)हेमावास बाँध(खारी नदी बाण्डी की सहायक पर पाली में है) २)सरदार समंद बाँध (पाली बाण्डी नदी पर) ३)जवाई बाँध (जवाई नदी) नोट:-पश्चिमी राजस्थान कासबसे बड़ा बाँध है पाली शहर जवाई नदी पर अवस्थित है ५)बाँकली बाँध (सुकड़ी नदी ) नोट:- जालोर सुकडी नदी के किनारे पर स्थित है
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nadi ka bahav parwat par tej hota hai or neche ane par uska bahav dhema ho jata hai okay please like it