नदी की कहानी (150words)
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मैं नदी हूँ, कुछ लोग मुझे शैलजा तो कुछ गिरिजा कहते हैं। कुछ के लिये मैं वनजा या सरिता भी हूँ। पहाड़ों पर मेरा जन्म हुआ है इसलिये तो लोग मुझे शैलजा या गिरिजा कहते हैं। पहाड़ मेरे पिता हैं। वह हिमालय हो या अन्य कोई दूसरा पहाड़, वही मेरा पिता है। उसी ने आसमान से बरसती बूँदों को अपनी झोली में समेटकर मुझे जन्म दिया है। इसलिये वही मेरा जन्मदाता है। वही मेरा शंकर है। उसी की जटाओं से निकलकर ही तो मैं धरती पर आई हूँ।
मैं अकेली नहीं हूँ। सारी दुनिया में मेरी बहनों का अस्तित्व है। उनका जन्म दुनिया के विभिन्न भागों में पाये जाने वाले पहाड़ों पर हुआ है इसीलिये हमें अनेक नाम मिले हैं। मैं नील भी हूँ, मैं मिसीसिपी-मिसौरी भी हूँ, मैं ही टेम्स हूँ। आप दुनिया के किसी भी पहाड़ का नाम लो, स्थानीय समाज आपको उसकी बेटी का नाम बता देगा।
Explanation:
एक नदी थी वो भौत गहरी थी उसके आस पास कोई भी दिखाई नही देता था। एक दिन एक लड़का उस नदी मे कूद गया फिर 30000 साल हो गय तब जा कर वहां रोक लगादी एक दिन किसी इंसान का हाथ दिखाई दिया जब पुलिस ने देखा तो उनो ने एक रस्सी फेकि ओर पानी मे रहने वाली पुलिस ने भी उस इंसान को निकालने में मद़द की और वो इंसान मरा हुआ था उनो ने उसकी जांच कराई। इंसान की जांच कराने के बाद पता चला की उसकी दिल की धङकंन नही चल रही थी तो कुछ लोगों से पूछा तो उन्हों ने बताया कि उस इंसान को तो 30000 साल हो गए। उसके बाद उस नदी से उन लोगों
ने इतना गंदा कर दिया। 14000 साल होने के बाद वो नदी का पानी भाहर निकल गया फिर पूरी धरति मे फेल गया।
शिक्षा ( कहावत ) - चीज़ कोई भी हो कुए मे छलांग नही लगानी चाहिए |