Hindi, asked by bhushan6378, 9 months ago

नदी किनारे एक छोटा-सा गाँव था-रामपुर।उसी गाँव में हरिया अपनी बेटी रानी के साथ रहता था।.....................[इस कहानी को पुरा करें]​

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Answered by khushijoshi8115
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Answer:

नदी किनारे एक छोटा-सा गाँव था-रामपुर।उसी गाँव

में हरिया अपनी बेटी रानी के साथ रहता था।हरिया

बहुत ही गरीब किसान था। वह अपनी बेटी के

साथ में एक छोटी सी झोंपड़ी में रहा करत था।

उसके पास खेती करने के लिए बहुत ही थोड़ी सी ज़मीन थी इसीलिए उस किसान फ़सल बेचकर

बिल्कुल थोड़े से ही रूपए मिलते थे। और उन

रूपयों से वह लोग सही से दो टाइम का खाना

भी नहीं खा पाते थे।

एक दिन वह राजा के पास अपनी समस्या लेकर

आया। वहां का राजा बहुत दयालु था। उन्होंने किसान को अपनी ज़मीन में से थोड़ी सी ज़मीन किसान

को दे दी खेती करने के लिए।और राजा ने कहा यह ज़मीन तो हमारी ही रहेगी परन्तु इस पर उगने वाली फ़सल तुम्हारी होगी। किसान बहुत खुश हो गया

और राजा को धन्यवाद करता हुआ वहां से आगया।

फिर एक दिन वे खेत की जुताई कर रहा था। तभी उसका हल एक कठोर चीज़ से जा टकराया। उसने फ़ौरन वहाँ खोदकर देखा तो उसे वहां पर सोने की

एक ओखली मिली।किसान बहुत ही ईमानदार था। उसने फिर अपनी बेटी से कहा कि हमें यह ओखली राजा के खेत से मिली है। जिसकी ज़मीन है उसी

की यह ओखली भी है। इसलिए हमे यह ओखली राजा को ही लौटा देना चाहिए।फिर किसान की

बेटी बोली नहीं पिताजी आप ऐसा ना करें। आपको केवल ओखली ही मिली है। अगर राजा ने आपसे इसकी सोने की मूसली भी माँगी तो फिर आप क्या करेंगे? इसीलिए आप इस ओखली को अपने ही

पास रखिएगा।

परन्तु किसान को अपनी बेटी की यह बात अच्छी नहीं लगी। फिर वह बोला जो चीज़ हमें मिली ही नहीं वह चीज़ माँगने का राजा को कोई अधिकार नहीं है।

और फिर वह राजा के पास ओखली लेकर जा पहुँचा। और दरबार में फिर वैसा ही हुआ जैसा कि किसान

की बैटी ने कहा था । राजा ने यही सोचा कि

किसान ने लालच में आकर मूसल अपने पास रख

ली है। किसान बेचारा राजा को सोने की मूसल

कहाँ से लाकर देता नतीजा यह हुआ कि किसान

को जेल में डाल दिया।जेल में न तो उसे ढंग से

खाना ही मिलता था और न ही पानी। भोले किसान को ऐसी ग़लती की सज़ा मिली थी जो उस किसान

ने करी ही नहीं थी। वह खाए-पिए बिना एकदम

निढाल हो गया। और लेटे-लेटे वह दिन रात रोता

रहता था और यही कहता था काश मैंने अपनी बेटी की बात मान ली होतीऔर फिर एक रोज़ राजा ने उसे

यह कहते हुए सुन लिया। फिर उन्होंने किसान से

पूछा कि आखिर वह ऐसा क्यों कह रहा है। तो फिर किसान ने राजा को पूरी बात बताई।

यह सुनकर राजा को अपनी ग़लती का अहसास

हुआ और किसान को फ़ौरन छोड़ दिया गया। और

फिर किसान की बेटी को राजा ने अपने दरबार में बुलाया। उससे बातें करने के बाद राजा को पता

चल गया कि वह बहुत ही बुद्धीमान है। राजा ने

किसान की बेटी को राज्य के ख़जाने का मंत्री बना दिया। और उन्हें रहने के लिए घर और सारी सुख-सुविधाएँ भी दी गईं।और उसके बाद से

किसान और उसकी बेटी हमेशा सुख से रहे।

किसान को थोड़ा कष्ट तो अवश्य झेलना पड़ा।

परन्तु अंत में सच्चाई की ही जीत|

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