नदी के द्वीप कविता का प्रतिपाद्य स्पष्ट कीजिए
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कवि का कथन है कि हम नदी के द्वीप हैं ,जिस प्रकार द्वीप का निर्माण नदी द्वारा होता है ,उसी प्रकार जीवन सरिता से हमारा निर्माण होता है। हम यह नहीं कह सकते हैं कि नदी हमें छोड़कर चली जाए। क्योंकि जो हम कुछ है हमारा कुछ अस्तित्व या आकार है ,वह सब नदी द्वारा प्रदत्त है। ... हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के।
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नदी के द्वीप कविता का प्रतिपाद्य निम्न है:
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कवी के अनुसार हम द्वीप है, नदी के। जिस प्रकार नदी के द्वीप को छोड़ के चले जाने से द्वीप का अस्त्तित्व ख़तम हो जाता है, उसी प्रकार जब समाज व्यक्ति को छोड़कर आगे बढ़ जाता है तब इंसान का अस्तित्व भी ख़तम हो जाता है, वो असभ्य हो जाता है।
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