Hindi, asked by Madhuansh, 8 months ago

नदी के द्वारा कैसे संस्कृति के उत्थान पतन होता है?

Answers

Answered by Anonymous
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Explanation:

नदी संस्कृति भूले हम

मानें, तो संस्कृति - एक तरह का निर्देश है और सभ्यता -कालखण्ड विशेष में सांस्कृतिक निर्देशों के अनुकूल किया जाने वाला व्यवहार। पुरातन संस्कृति में नदियों को माँ मानने का निर्देश था। नदी माँ से पोषण की गारंटी के कारण भी ज्यादातर सभ्यताएँ, नदियों के किनारे परवान चढ़ी।

आज इस 21वीं सदी में हम नदियों को माँ कहते जरूर हैं, लेकिन नदियों को माँ मानने का हमारा व्यवहार सिर्फ नदियों की पूजा मात्र तक सीमित है। असल व्यवहार में हमने नदियों को कचरा और मल ढोने वाली मालगाड़ी मान लिया है। यदि यह असभ्यता है, तो ऐसे में क्या स्वयं को सभ्य कहने वाली सज्जन शक्तियों का यह दायित्व नहीं कि वे खुद समझें और अन्य को समझाएँ कि वे क्या निर्देश थे, जिन्हें व्यवहार में उतारकर भारत अब तक अपनी प्रकृति और पर्यावरण को समृद्ध रख सका? हमारे व्यवहार में आये वे क्या परिवर्तन हैं, जिन्हें सुधारकर ही हम अपने से रुठते पर्यावरण को मनाने की वैज्ञानिक पहल कर सकते हैं?

आइए, प्रायश्चित करें

मेरा मानना है कि यह समझना और समझाना सबसे पहले मेरी उम्र की पीढ़ी का दायित्व है, जो खासकर 21वीं सदी के अन्त और 21वीं सदी के प्रारम्भ में पैदा हुई सन्तानों को उतना सुरक्षित और सुन्दर पर्यावरण सौंपने में विफल रही है, जितना हमारे पुरखों ने हमें सौंपा था। समझने और समझाने की इस कोशिश को मेरी पीढ़ी के लिये एक जरूरी प्रायश्चित मानते हुए इसे मैं कागज पर उतार रहा हूँ।

इस क्रम में सर्वप्रथम मैं ‘संस्कृति के नदी लेख’ शृंखला के माध्यम से नदी विज्ञान और नदी के प्रति अपेक्षित वैज्ञानिक व्यवहार को भारतीय संस्कृति के आइने में समझने-समझाने का प्रयास कर रहा हूँ। चूँकि अभी भी आशा के किरणपुंज मन में कहीं मौजूद हैं। वे, बार-बार पुकार कर कह रहे हैं कि अतीत से सीखें, वर्तमान के व्यवहार में उतारें और नदी के बहाने अपना भविष्य सुरक्षित रखने का प्रयास शुरू करें। भूलें नहीं कि विकास का नए मानक बने समग्र घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से लेकर रोटी, रोजगार, सेहत, सामाजिक सौहार्द्र और सामाजिक सुरक्षा तक सुनिश्चित करने में नदी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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