Hindi, asked by pragati2997, 3 months ago

नदी निकलती है पर्वत से, मैदानों में बहती है।
और अंत में मिल सागर से, एक कहानी कहती है।
बचपन में छोटी थी पर मैं, बड़े वेग से बहती थी।
आँधी-तूफाँ, बाढ़-बवंडर, सब कुछ हँसकर सहती थी।
मैदानों में आकर मैंने, सेवा का संकल्प लिया।
और बना जैसे भी मुझसे, मानव का उपकार किया।
अंत समय में बचा शेष जो, सागर को उपहार दिया
सब कुछ अर्पित करके अपने, जीवन को साकार किया।
पद्यांश में प्रयुक्त प्राकृतिक घटक?​

Answers

Answered by shrikantmohite76
4

Answer:

बचपन में छोटी थी पर मैं, बड़े वेग से बहती थी। आँधी-तूफाँ, बाढ़-बवंडर, सब कुछ हँसकर सहती थी। मैदानों में आकर मैंने, सेवा का संकल्प लिया। और बना जैसे भी मुझसे, मानव का उपकार किया।

Answered by sakshiash124
0

Answer:

नदी निकलती है पर्वत से, मैदानों में बहती है।

और अंत में मिल सागर से, एक कहानी कहती है।

बचपन में छोटी थी पर मैं, बड़े वेग से बहती थी।

आँधी-तूफाँ, बाढ़-बवंडर, सब कुछ हँसकर सहती थी।

मैदानों में आकर मैंने, सेवा का संकल्प लिया।

और बना जैसे भी मुझसे, मानव का उपकार किया।

अंत समय में बचा शेष जो, सागर को उपहार दिया

सब कुछ अर्पित करके अपने, जीवन को साकार किया।

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