‘नदी और प्रदू षण’ विषय पर एक अनुच्छे द विखिए|(30 – 40 शब्दो में लीखिए)
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प्राचीन काल से ही भारत नदियों का देश रहा है, भारत की भूमि में नदियाँ ऐसे बिछी हैं जैसे मानो शरीर में नसें, नसों में बहने वाला खून तथा नदियों में बहने वाला पानी दोनों ही जीवन के लिए उपयोगी होते हैं। नदियों ने ही विश्व की प्राचीनतम सभ्यताओं को अपने गोद में रखकर पाला था, जिनकी गौरव गाथाएं आज भी इतिहास बड़े गर्व से गाता है।
लेकिन आज कल ये नदिया प्रदूषण का केंद्र बन गई है, आज कल नदी जल प्रदूषण भूत बाद रहा है। नदी जल प्रदूषण से हमारा तात्पर्य, घरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा, उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्टों, नदी में चलने वाले वाहन के अपशिष्टों एवं उनके ऱासायनिक रिसाव आदि का जल में मिलकर उसको दूषित करने से है। नदियों के दूषित जल में आक्सीजन की कमी हो जाती है जिसके कारण यह जलीय जीवों के साथ-साथ जैव विविधता के लिए भी अत्यधिक घातक सिद्ध होता है। इसमें उपस्थित विभिन्न औद्यौगिक रासायन सिंचाई के माध्यम से कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को भी घटा देते हैं।
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