नदी और वृक्ष से क्या शिक्षा मिलती है ?
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'वृक्ष कबहुं न¨ह फल भखैं, नदी न संचै नीर, परमारथ के कारने साधुन धरा शरीर।' कबीर का यह दोहा हमें परोपकार की भावना का संदेश देता है। वृक्ष लगाने मात्र से ही वह हमारे पालनहार बन जाते हैं। इनके अंदर छिपे तमाम गुण हमें तमाम रोगों की औषधि तो देते ही हैं, साथ ही हमें प्राणवायु भी इन्हीं से मिलती है। एक तरह से देखा जाए तो यह मानव के नि:स्वार्थ पालनहार हैं। इसके साथ ही यह प्रकृति का श्रृंगार भी करते हैं।
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