Hindi, asked by neerajpargaiclass9a, 5 months ago

नदी पर एक स्वरचित कविता लिखें एवं उसकी चित्र भी बनाएं ।​

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Answered by Anonymous
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Answered by vikramsandeep2804
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छोटी-सी हमारी नदी”

छोटी-सी हमारी नदी टेढ़ी-मेढ़ी धार,

गर्मियों में घुटने भर भिगो कर जाते पार।

पार जाते ढोर-डंगर, बैलगाड़ी चालू,

ऊँचे हैं किनारे इसके, पाट इसका ढालू।

पेटे में झकाझक बालू कीचड़ का न नाम,

काँस फूले एक पार उजले जैसे घाम।

दिन भर किचपिच-किचपिच करती मैना डार-डार,

रातों को हुआँ-हुआँ कर उठते सियार।

अमराई दूजे किनारे और ताड़-वन,

छाँहों-छाँहों बाम्हन टोला बसा है सघन।

कच्चे-बच्चे धार-कछारों पर उछल नहा लें,

गमछों-गमछों पानी भर-भर अंग-अंग पर ढालें।

कभी-कभी वे साँझ-सकारे निबटा कर नहाना

छोटी-छोटी मछली मारें आँचल का कर छाना।

बहुएँ लोटे-थाल माँजती रगड़-रगड़ कर रेती,

कपड़े धोतीं, घर के कामों के लिए चल देतीं।

जैसे ही आषाढ़ बरसता, भर नदिया उतराती,

मतवाली-सी छूटी चलती तेज धार दन्नाती।

वेग और कलकल के मारे उठता है कोलाहल,

गँदले जल में घिरनी-भँवरी भँवराती है चंचल।

दोनों पारों के वन-वन में मच जाता है रोला,

वर्षा के उत्सव में सारा जग उठता है टोला।

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