Hindi, asked by vineetkhushi880, 10 hours ago

नदियों का बदलता स्वरूप पर निबंध
लगभग 100 - 150 शब्द​

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Answered by bhatiamona
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नदियों का बदलता स्वरूप पर निबंध :

पहले के समय में नदियों की पूजा की जाती थी | नदियों को परित्र माना जाता था | लोग नदियों की पूजा करते थे | नदियों के पानी को साफ-सुथरा रखा जाता था | नदियाँ हमारे जीवन में बहुत महत्व रखती थी |

आज के समय में नदियों का स्वरूप बदल गया है , मनुष्य ने अपने लाभ के लिए नदियों को गंदा कर दिया है | नदियों के आस-पास कूड़ा कचरा फैला कर रखा है | मनुष्य से लेकर जानवर सब नदी के पानी को दूषित करते है | नदियों का पानी पिने योग नहीं रहा है |

मनुष्य ने अपने लाभ के लिए नदी को दूषित करके रखा है और बहुत से लोग कपड़े धो रहे है , गाड़ियाँ धो रहे है , कारखानों से निकली गैसे , कूड़ा सब नदी में जा रहा था | यह देख कर बहुत दुःख हुआ हमें मिलकर इसे रोकना चाहिए और नदी की रक्षा करना हमारा कर्तव्य है | सरकार को नदियों को दूषित करने वालों को जुर्माना लगाना चाहिए और कड़े-कड़े नियम बनाने चाहिए , ताकी कोई भी नदियों के जल को दूषित न कर सके |

नदियों  को साफ-सुथरा रखने के लिए प्रयास करने चाहिए :

  • नदी के दोनों ओर कम-से-कम एक किलोमीटर की चौड़ाई में बड़ी संख्या में पेड़ लगाने चाहिय इससे पर्यावरण बेहतर होगा।
  • नदियों में कूड़ा-कचरा डालने पे प्रतिबन्ध लगाने चाहिए और नदियों के आस-पास कपड़े और नहाना पे रोक लगानी चाहिए।
  • स्नानघाटों की मरम्मत और उनके निर्माण का कार्य भी शुरू करना चाहिए ताकि नदी-जल दूषित न हो।
  • नदियों में मृत जानवरों को नहीं फेंकना चाहिए। नदी किनारे बसे लोगों को नदी में गंदे कपड़े नहीं साफ करने चाहिए।
Answered by jiya006839
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Answer:

नदी जल प्रदूषण से हमारा तात्पर्य, घरों से निकलने वाला कूड़ा-कचरा, उद्योगों से निकलने वाले रासायनिक अपशिष्टों, नदी में चलने वाले वाहन के अपशिष्टों एवं उनके ऱासायनिक रिसाव आदि का जल में मिलकर उसको दूषित करने से है। नदियों के दूषित जल में आक्सीजन की कमी हो जाती है जिसके कारण यह जलीय जीवों के साथ-साथ जैव विविधता के लिए भी अत्यधिक घातक सिद्ध होता है। इसमें उपस्थित विभिन्न औद्यौगिक रासायन सिंचाई के माध्यम से कृषि भूमि की उर्वरा क्षमता को भी घटा देते हैं।

Explanation:

नदियों के प्रदूषण के कारण

नदी प्रदूषण के लिए वर्तमान समय में निम्नलिखित कारक उत्तरदायी है-

घरों से निकलने वाला गंदा पानी छोटे-छोटे नालियों के सहारे नालों में जाकर मिलता है और ये नाले घरों का सारा गंदा पानी इक्ट्ठा करके नदियों में गिरा देते हैं।

उद्योगों से निकलने वाले कूड़े-कचरे एवं रासायनिक अपशिष्टों का निपटारा भी इन्हीं नदियों में ही किया जाता है।

अम्लीय वर्षा, पर्यावरण प्रदूषण के कारण जब वायुमण्डल में सल्फर डाइआक्साइड (SO2) तथा नाइट्रोजन डाइआक्साइड (NO2) की मात्रा बढ़ जाती है तो ये वायुमण्डल में उपस्थित जल कि बूंदो के साथ अभिक्रिया करके अम्ल का निर्माण करती है तथा वर्षा के बूंदो के साथ धरातल पर गिरती है और नदी तथा झीलों आदि के जल को प्रदूषित कर देती है। इत्यादि

नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के उपाय

नदियों को प्रदूषित होने से बचाने के लिए निम्नलिखित उपाय किये जाने चाहिए

कृषि, घरों, तथा उद्योगों के बेकार पानी को एकत्रित करके उनके पुनरूपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।

वायु प्रदूषण को नियंत्रित करके अम्ल वर्षा में कमी लाई जा सकती है जिसके फलस्वरूप नदी प्रदूषण में भी कमी आयेगी।

उद्योगों का निर्माण उचित स्थान पर तथा उनके अपशिष्टों के लिए उचित प्रबंध होना चाहिए।

निष्कर्ष

नदियों का समस्त जीवित प्राणियों के जीवन में अपना एक महत्व है। मानव इसके जल का उपयोग सिंचाई एवं विद्युत उत्पादन में, पशु-पक्षी इसके जल का उपयोग पीने में तथा जलीय जीव इसका उपयोग अपने आवास आदि के रुप में करते हैं। परन्तु वर्तमान समय में नदियों के जल को प्रदूषित होने से, इसका उपयोग करने वाले जीवों के जीवन में काफी बदलाव आया है। जैसे- सिंचाई से भूमि की उर्वरा क्षमता में ह्रास एवं इसके उपयोग से बिमारियों में वृद्धि आदि। नदियों की उपयोगिता को देखते हुए अगर कोई उचित कदम नहीं उठाया गया तो इनका बढ़ता प्रदूषण मानव सभ्यता पर बिजली बनकर गिरेगा और सब कुछ जलाकर राख कर देगा।

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