नदियों को कैसे बचाए?
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नदियों को धरती का प्राण माना जाता है। नदी एक समग्र और जीवंत प्रणाली होती है। नदियों को उनका मूल प्रवाह और गुणवत्ता लौटाना बरस-दो बरस का काम नहीं हो
सकता, पर संकल्प निर्मल हो; कार्य-योजना ईमानदार और सुस्पष्ट
हो, सातत्य सुनिश्चित हो, तो कोई भी नदी
को मृत्यु शय्या से उठाकर उसके पैरों पर चला सकती है।
ऊर्जा, सिंचाई और जल परिवहन के नाम पर हम नदियों के प्रवाह मार्ग में अवरोध-दर-अवरोध खड़े करने की परियोजनाएं पेश करते रहें, बाढ़-मुक्ति के नाम पर तटबंध बनाते रहें, नदी तटबंधों को एक्सप्रेस-वे में बदलते रहें, प्रवाह की तीव्रता के कारण मोड़ों पर स्वाभाविक रूप से बने आठ-आठ फुट गहरे कुंडों को खत्म कर दें, वनस्पतियों को नष्ट कर दें और उम्मीद करें कि नदी में प्रवाह बचेगा!
नदी में डिटर्जेट पाउडर, साबुन का प्रयोग और जलीय जीवों के शिकार से परहेज करना चाहिए। क्योंकि नदी के जीवों जैसे मछली, कछुआ, घड़ियाल, मेढ़क आदि प्रदूषण को दूर करते हैं।
अगर हम उन्हें बचाना चाहते हैं, तो
1. नदियों मैं कचरा नही फेकना चाहिए हैं।
2. नदियों मैं अपने कपड़े व बर्तन नही धोने चाहिए ।
और इस तरह की अन्य चीजों नहीं करनी चाहिए ।
ऊर्जा, सिंचाई और जल परिवहन के नाम पर हम नदियों के प्रवाह मार्ग में अवरोध-दर-अवरोध खड़े करने की परियोजनाएं पेश करते रहें, बाढ़-मुक्ति के नाम पर तटबंध बनाते रहें, नदी तटबंधों को एक्सप्रेस-वे में बदलते रहें, प्रवाह की तीव्रता के कारण मोड़ों पर स्वाभाविक रूप से बने आठ-आठ फुट गहरे कुंडों को खत्म कर दें, वनस्पतियों को नष्ट कर दें और उम्मीद करें कि नदी में प्रवाह बचेगा!
नदी में डिटर्जेट पाउडर, साबुन का प्रयोग और जलीय जीवों के शिकार से परहेज करना चाहिए। क्योंकि नदी के जीवों जैसे मछली, कछुआ, घड़ियाल, मेढ़क आदि प्रदूषण को दूर करते हैं।
अगर हम उन्हें बचाना चाहते हैं, तो
1. नदियों मैं कचरा नही फेकना चाहिए हैं।
2. नदियों मैं अपने कपड़े व बर्तन नही धोने चाहिए ।
और इस तरह की अन्य चीजों नहीं करनी चाहिए ।
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