Hindi, asked by ekkatarsheela, 3 months ago

नदियों की स्वच्छता हमारा नैतिक दायित्व पर प्रोजेक्ट बनाइये​

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Answered by angelbaraf
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Answer:

हमारे देश में नदियों को मां का दरजा प्राप्त है. हमारे सभी पर्व-त्योहारों में नदियों को खास महत्व दिया जाता है. पर शायद आज लोगों की सोच बदल चुकी है. शायद इसलिए वे अपने घरों को सजाने, साफ रखने के लिए सब कुछ करते हैं, लेकिन अपनी नालियों को नदियों में बहाते हैं.

Explanation:

लोगों से देवनदी गंगा को संवारने का वादा कर वाराणसी से चुनाव जीत नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने. इसके बाद गंगा नदी को बचाने की चर्चाएं जोरों पर हैं. बात केवल गंगा नदी की नहीं है, हमारे देश में हर नदी की स्थिति कमोबेश ऐसी ही है.

हमारे देश में नदियों को मां का दरजा प्राप्त है. हमारे सभी पर्व-त्योहारों में नदियों को खास महत्व दिया जाता है. पर शायद आज लोगों की सोच बदल चुकी है. शायद इसलिए वे अपने घरों को सजाने, साफ रखने के लिए सब कुछ करते हैं, लेकिन अपनी नालियों को नदियों में बहाते हैं. कहीं नदियों का अतिक्रमण हो रहा है तो कहीं उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया जा रहा है. हम प्रलय के नाम से सिहर उठते हैं, लेकिन यह नहीं देखते कि हम खुद पल-पल प्रलय ला रहे हैं. जो नहीं जानते कि उनकी इन गलतियों का नतीजा होगा वे अज्ञानी हैं, पर जो समझते हैं, वे तो कुछ करें.

नदियां सदैव ही जीवनदायिनी रही हैं। प्रकृति का अभिन्न अंग हैं नदियाँ। नदियाँ अपने साथ बारिश का जल एकत्रित उसे भू-भाग में पहुचती हैं। एशिया में गंगा, ब्रह्मपुत्र, यमुना, आमूर, लेना, कावेरी, नर्बदा, सिंघु, यांगत्सी नदियाँ, अफ्रीका नील, कांगो, नाइजर, जम्बेजी नदियाँ, उत्तरी अमेरिका में मिसिसिपी, हडसन, डेलावेयर, मैकेंजी नदियाँ, दक्षिणी अमेरिका में आमेजन नदी, यूरोप में वोल्गा, टेम्स एवं आस्ट्रेलिया में मररे डार्लिंग विश्व की प्रमुख नदियाँ हैं।

यह विडंबना ही है कि हमारी आस्था की पवित्र और संस्कृति से जुड़ी नदियां प्रदूषित हो रही हैं। लोगों काफी समय से सीवर, औद्योगिक कचरा, पॉलीथिन आदि डाल रहे हैं, जिस से आज भारत की नदियां दुनिया मे सबसे ज्यादा प्रदूषित हो गई हैं । दिल्ली में यमुना, कानपुर में गंगा एवं मुम्बई में मीठी नदी अत्यंत प्रदूषित हैं। इन नदियों का पानी ही नहीं वरण आसपास की भूमि भी बंजर बनती जा रही है। इस से देश की अर्थव्यवस्था एवं नागरिकों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। एक तरफ नदियों को माता कह कर पूजा जाता है दूसरी ओर उनमें सीवर, कचरा औऱ शव डाले जाते है। ऐसे में नदी को पूजने और पवित्र कहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता। हम नदियों को प्रदूषित करने का कारक बनते हैं तो कर्मकांडों से हमे खुशी नहीं मिलने वाली।

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