Hindi, asked by govenddav, 2 months ago

नदियों और हिमालय पर अनेक कवि कवियों ने कविता लिखी है उनका भी कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों का वर्णन कीजिए इसका आंसर​

Answers

Answered by shubhreet000
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प्रश्न 1.

नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफ़ी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?

उत्तर-

हमारी भारतीय संस्कृति में नदियों को माँ मानने की परंपरा काफ़ी पुरानी है। लेकिन इस निबंध में लेखक ने बेटी, प्रेयसी तथा बहन के रूप में प्रस्तुत किया है। इस पाठ में नदियाँ हिमालय की बेटियाँ हैं। नदियों को बादलों की प्रेयसी के रूप प्रस्तुत किया गया है। इसके अतिरिक्त लेखक ने नदियों को बहन के रूप में दिखाया है।

प्रश्न 2.

सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर

सिंधु और ब्रह्मपुत्र हिमालय की दो ऐसी नदियाँ हैं जिन्हें ऐतिहासिकता के आधार पर पुल्लिग रूप में नद भी माना गया है। कहा जाता है कि ये दो ऐसी नदियाँ हैं जो दयालु हिमालय के पिघले हुए दिल की एक-एक बूंद से निर्मित हुई हैं। इनका रूप विशाल और विराट है। इनका रूप इतना लुभावना है कि सौभाग्यशाली समुद्र भी पर्वतराज हिमालय की इन दो बेटियों का हाथ थामने पर गर्व महसूस करता है।

प्रश्न 3.

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?

उत्तर

नदियाँ हमें जल प्रदान कर जीवनदान देती हैं। ये युगों-युगों से पूजनीय व मनुष्य हेतु कल्याणकारी रही हैं। इनका जल भूमि की उर्वराशक्ति बढ़ाने में विशेष भूमिका निभाता है। मानव के आधुनिकीकरण में जैसे-बिजली बनाना, सिंचाई के नवीन साधनों आदि में इन्होंने पूरा सहयोग दिया है। मानव ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, पेड़-पौधों आदि के लिए जल बहुत जरूरी है।

इतनी कल्याणकारी होने पर भी नदियों को कल-कारखानों से निकलने वाले विष रूपी प्रदूषित जल, गंदे रसायन पदार्थ, लोगों द्वारा दूषित किया गया जल जैसे-कपड़े धोना, पशु नहलाना व अन्य कूड़ा-करकट भी अपने आँचल में ही समेटना पड़ता है। लेकिन फिर भी ये नदियाँ कल्याण ही करती हैं। ‘अपार दुख सहकर भी कल्याण’ केवल ‘माता’ ही कर सकती है।

इसीलिए हम कह सकते हैं कि काका कालेलकर का नदियों को लोकमाता की संज्ञा देना कोई अतिशयोक्ति नहीं।

प्रश्न 4.

हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?

उत्तर

हिमालय की यात्रा में लेखक ने नदियों, झरनों, हिमालय की बर्फीली चोटियों, गगनचुंबी पर्वतों, विशाल मैदानों, सागरों तथा महासागरों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है।

प्रश्न 1.

नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।

उत्तर-

यह लघु सरिता का बहता जल,

कितना शीतल कितना निर्मल।

हिमगिरि के हिम से निकल-निकल,

यह विमल दूध-सा हिम का जल,

कर-कर निनाद कल-कल छल-छल

बहता आता नीचे पल-पल।

तन का चंचल, मन का विह्वल,

यह लघु सरिता का बहता जल।

निर्मल जल की यह तेज़ धार,

करके कितनी श्रृंखला पार,

बहती रहती है लगातार

गिरती उठती है बार-बार

रखता है तन में उतना बल,

यह लघु सरिता का बहता जल।

करके तरु फूलों का सिंचन,

लघु जल-धारों से आलिंगन

जल कुंडों में करते नर्तन,

करके अपना बहु परिवर्तन।

आगे बढ़ता जाता केवल,

यह लघु सरिता का बहता जल।

मिलता है इसको जब पथ पर,

पथ रोके खड़ा कठिन पत्थर,

आकुल आतुर दुख से कातर

सिर पटक-पटककर रो-रोकर

करता है कितना कोलाहल,

यह लघु सरिता का बहता जल॥

हिम के पत्थर वे पिघल-पिघल,

बन गए धरा के वारि विमल,

सुख पाता जिससे पथिक विकल,

पी-पी कर अंजलि भर मृदु जल।

नित जलकर भी कितना शीतल,

यह लघु सरिता का बहता जल।

कितना कोमल, कितना वत्सल,

रे! जननी का वह अंतस्तल,

जिसका यह शीतल करुणा जल,

बहता रहता युग-युग अविरल।

गंगा, यमुना, सरयू निर्मल,

यह लघु सरिता का बहता जल।

-गोपालसिंह ‘नेपाली’

प्रस्तुत कविता में नदी की गति, रूप, रंग और स्वभाव का अत्यंत सुंदर चित्रण हुआ है। नदी हिमालय से निकलती है, इसलिए इसका जल धवल, निर्मल एवं शीतल होता है। यह कलकल स्वर में गाती, बाधा विघ्नों में संघर्ष करती हुई आगे बढ़ती जाती है। समतल भूमि पर भी इसके कोमल पैर को कंकड़ पर पैदल चलना पड़ता है, फिर भी यह सदानीरा कभी विश्राम नहीं करती। सूर्य की गरमी में जलकर भी यह हमें शीतलता प्रदान करती है। नदी की चंचलता और शीतलता देखकर कवि को आश्चर्य होता है। नदियों के जीवन का मूल उद्देश्य प्राणी मात्र का पालन करना है और एक माँ के समान समस्त जीवों का बिना किसी भेदभाव के पालन-पोषण करती हुई अपना कर्तव्य पूरा करना है। इस कविता को पढ़कर सुंदरता का आनंद तो मिलता ही है, साथ ही मानव के लिए संदेश है कि वह सदैव कार्यरत रहे।

प्रश्न 2.

गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता ‘हिमालय के आँगन में पढ़िए और तुलना कीजिए।

उत्तर

Answered by devchandyedegmailcom
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Answer:

nadiyon aur Himalaya per anup kaviyon ne ke kaviyon likhi hai un kavitaon ka achanak Karen unki tulna padhe mein meri nadiyon ka varnan se lijiye

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