Hindi, asked by rithu4319, 5 hours ago

नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं
का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।​

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Answered by sarika001276
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हिमालय की बेटियाँ NCERT Solutions for Class 7 Hindi Vasant Chapter 3

प्रश्न अभ्यास

लेख से

प्रश्न 1.

नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है। लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें और किन रूपों में देखते हैं?

उत्तर:

नदियों को माँ मानने की परंपरा हमारे यहाँ काफी पुरानी है, लेकिन लेखक नागार्जुन उन्हें बेटी, बहन, प्रेयसी, संभ्रात महिला और माँ के रूपों में देखते हैं।

प्रश्न 2.

सिंधु और ब्रह्मपुत्र की क्या विशेषताएँ बताई गई हैं?

उत्तर:

सिंधु और ब्रह्मपुत्र दो ऐसे महानद हैं जिनमें हिमालय की पिघली बर्फ पानी के रूप में एकत्र होकर आगे बढ़ती हैं। इनमें कुछ और छोटी-छोटी नदियाँ भी मिलती हैं। समुद्र की ओर अग्रसर होते ये महानद अंत में समुद्र में मिल जाते हैं।

प्रश्न 3.

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता क्यों कहा है?

उत्तर:

काका कालेलकर ने नदियों को लोकमाता कहा है – क्योंकि नदियाँ अपने अमृतरूपी जल से मनुष्य, पशु-पक्षी तथा अन्य जीवों की प्यास बुझाती हैं। नदियाँ परोक्ष रूप में हमारे पोषण का साधन हैं। इन नदियों में स्नान करने से मनुष्य की गर्मी तथा थकान उतर जाती है। भारतीय संस्कृति में नदियाँ कल्याणकारी मानी गई हैं।

प्रश्न 4.

हिमालय की यात्रा में लेखक ने किन-किन की प्रशंसा की है?

उत्तर:

हिमालय की यात्रा में लेखक में हिमालय से निकलने वाली अल्हड़ बालिका जैसी नदियों, वहाँ पर पाए जाने वाले देवदार, चीर, सरो, चिनार, सफ़ेदा, केल के जंगलों तथा अद्भुत हिमालय की प्रशंसा की हैं।

लेख से आगे

प्रश्न 1.

नदियों और हिमालय पर अनेक कवियों ने कविताएँ लिखी हैं। उन कविताओं का चयन कर उनकी तुलना पाठ में निहित नदियों के वर्णन से कीजिए।

उत्तर:

नदियों और हिमालय से संबंधित कुछ कविताएँ –

(i) वही उठती अर्मियों-सी शैलमालाएँ

वही अंतश्चेतना-सा गहन वन विस्तार

वही उर्वर कल्पना-से फूटते जलस्रोत

वही दृढ़ मांसल भुजाओं-से कसे पाषाण

वही चंचल वासना-सी बिछलती नदियाँ

पारदर्शी वही शीशे की तरह आकाश

और किरनों से झलाझल

वही मुझको बेधते हिमकोण -जगदीश गुप्त

(ii) खड़ा हिमालय बता रहा है

डरो न आँधी-पानी में

खड़े रहो तुम अविचल होकर

सब संकट तूफानी में

डिगो न अपने प्रण से तो तुम

सबकुछ पा सकते हो प्यारे

तुम भी ऊँचे उठ सकते हो

छू सकते हो नभ के तारे।

अचल रहा जो अपने पथ पर

लाख मुसीबत आने में

मिली सफलता जग में उसको

जीने में मर जाने में।

नदियों और हिमालय से संबंधित अन्य कविताओं, का चयन एवं पाठ में निहित नदियों के वर्णन से उनकी तुलना छात्र स्वयं करें।

प्रश्न 2.

गोपालसिंह नेपाली की कविता ‘हिमालय और हम’, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता ‘हिमालय’ तथा जयशंकर प्रसाद की कविता “हिमालय के आँगन में’ पढ़िए और तुलना कीजिए।

उत्तर:

छात्र पुस्तकालय से लेकर पढ़ें तथा उनकी तुलना स्वयं करें।

प्रश्न 3.

यह लेख 1947 में लिखा गया था। तब से हिमालय से निकलनेवाली नदियों में क्या-क्या बदलाव आए हैं?

उत्तर:

तब से हिमालय से निकलने वाली इन नदियों में अनेक परिवर्तन आए हैं। मानव की बढ़ती स्वार्थ प्रवृत्ति तथा उसकी बढ़ती आवश्यकताओं के कारण सभी नदियों में प्रदूषण का स्वर बहुत बढ़ गया है। तब इन नदियों का पानी जीवनदायी अमृत के समान माना जाता था। इससे नदियों के प्रति हमारी धार्मिक आस्था भी प्रभावित हुई है। इसके अलावा कुछ नदियों के मार्ग में भी बदलाव आया है।

प्रश्न 4.

अपने संस्कृत शिक्षक से पूछिए कि कालिदास ने हिमालय को देवात्मा क्यों कहा है?

उत्तर:

कालिदास ने हिमालय को देवात्मा इसलिए कहा है क्योंकि कालिदास ने अपने काव्यग्रंथ मेघदूत में अल्कापुरी को कैलाश मानसरोवर के निकट बताया है जो देव कुबेर की नगरी है। कैलाश पर्वत जो भगवान शिव का निवास माना जाता है, वह भी हिमालय पर ही स्थित है। अनेक ऋषियों-मुनियों और योगियों का आवास भी हिमालय की गुफाओं में रहा है।

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