Hindi, asked by sharmapranav7tha, 3 months ago

नदियां प्रदूषित होती जा रहे हैं इन्हें प्रदूषण से कैसे बचाया जा सकता है इस पर 10 पंक्तियां लिखें ​

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Answered by gakshath125
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अनिल कुमार सिंह, बड़हरा (भोजपुर) : नदियों को धरती का प्राण माना जाता है। जो हमारी पृथ्वी व समस्त जीव-जगत को जिंदा रखती है। जब नदियों के जीवन पर ही संकट मंडरा रहा हो तो अन्य जीव जगत पर क्या असर होगा? गंभीर चिंता का विषय है।

नदियों में बढ़ते प्रदूषण से चिंतित लोगों ने प्रदूषण से बचाने को ले कुछ लोगों की राय ली गयी। प्रस्तुत है-लोगों के विचार का प्रमुख अंश। प्रखंड लोक शिक्षा समन्वयक रेवती रमण सिंह कहते हैं नदियों में मृत जानवरों को नहीं फेंकना चाहिए। नदी किनारे बसे लोगों को नदी में गंदे कपड़े नहीं साफ करने चाहिए। क्योंकि गंदे व दूषित कपड़े के रोगाणु पानी में दूर-दूर तक फैलकर बीमारी फैला सकते हैं। नदी में डिटर्जेट पाउडर, साबुन का प्रयोग और जलीय जीवों के शिकार से परहेज करना चाहिए। क्योंकि नदी के जीवों जैसे मछली, कछुआ, घड़ियाल, मेढ़क आदि प्रदूषण को दूर करते हैं। प्रदूषण दूर करने को ले सरकार को जागरूकता कार्यक्रम चलाना चाहिए।

संकुल समन्वयक मुमताज आलम ने बताया कि शहरी नालों की गंदगी व औद्योगिक कचरे को बिना शुद्ध किये बहव पर रोक लगना चाहिए। नदी जल के संरक्षक जीवों की अवैध तस्करी रोकने के कड़े कानून होने चाहिए। पूर्व प्रभारी मुखिया कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि शहर के गंदे नालों को रोकने के साथ नदी किनारे मल-मूत्र त्याग करने पर प्रतिबंध होना चाहिए। वीरेन्द्र बहादुर सिंह ने बताया कि बड़हरा क्षेत्र में गंगा को साफ रखने को ले सबसे पहले तो आरा-केशोपुर गांगी द्वारा शहर के गंदे पानी गिरने से रोकने की जरूरत है। विकल्प के रूप में उस पानी से नहर निकालकर सिंचाई के काम में लाना चाहिए। स्वास्थ्य कर्मी अरुण कुमार सिंह कहते हैं कि नदी को प्रदूषण रहित बनाना हरेक व्यक्ति का लक्ष्य होना चाहिए। सबसे पहले तो गंगा नदी में गिरने वाले सारे गंदे नालों को बंद करा देना चाहिए।

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