नदिया शहरों में बिजली बनकर दौड़ती है इस कथन पर 100 शब्दों का एक अनुच्छेद
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नदिया शहरों में बिजली बनकर दौड़ती है (अनुच्छेद)
नदिया शहरों में बिजली बन कर दौड़ती हैं। इस कथन का आशय यह है कि नदियों के माध्यम से ही बिजली का उत्पादन होता है। नदियों पर बड़े-बड़े बांध बनाए जाते हैं और उन बांधों की सहायता से नदियों के पानी से ही बिजली बनती है। इस उत्पादित बिजली की आपूर्ति पूरे शहर में होती है। इस तरह नदियां बिजली बनकर पूरे शहर में दौड़ती है। नदियों के महत्व को इस बात से नकारा नही जा सकता है। नदियां जीवनदायी होती है, वह हमारे लिये हर तरह से उपयोगी होती हैं। इसी कारण विश्व के विशेषकर भारत के जितने भी प्रसिद्ध एवं प्राचीन नगर हुए हैं, वे किसी न किसी नदी के किनारे ही बसे हुए हैं।
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सीपीसीबी की रिपोर्ट के मुताबिक जीनदायिनी कही जाने वाली ये नदियां खुद खतरे में हैं। देश में 521 नदियों के पानी की मॉनिटरिंग करने वाले प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक देश की 198 नदियां ही स्वच्छ हैं। इनमें अधिकांश छोटी नदियां हैं। जबकि, बड़ी नदियों का पानी भयंकर प्रदूषण की चपेट में है। जो 198 नदियां स्वच्छ पाई गईं, इनमें ज्यादातर दक्षिण-पूर्व भारत की हैं। नदियों की स्वच्छता के मामले में तो महाराष्ट्र का बहुत बुरा हाल है। यहां सिर्फ 7 नदियां ही स्वच्छ हैं, जबकि 45 नदियों का पानी प्रदूषित है। गंगा सफाई के लिए मिले डेढ़ हजार करोड़ खर्च ही नहीं हुए जिस कारण गंगा का हाल जस का तस बना हुआ है।
भारतीय जनजीवन में नदियों महत्व इसी से जाना जा सकता है कि धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक, व्यापारिक, पर्यटन, स्वास्थ्य, कृषि, शैक्षिक, औषधि, पर्यवरण और न जाने कितने क्षेत्र हैं जो हमारी नदियों से सीधे-सीधे जुडे हुए हैं। किसी भी अन्य सभ्यता से बहुत लंबे समय तक हमने नदियों को धर्म से जोड कर इन्हें स्वच्छ और पवित्र भी बनाए रखा।