natural resources is the gift of god and to be utilized judiciously in hindi
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प्राकृतिक संसाधन उन दृश्यमान या गैर-दृश्यमान चीजें हैं, जो इस पृथ्वी पर रहने के लिए प्रकृति द्वारा निर्मित या दिए जाते हैं। इन प्राकृतिक संसाधनों का कोई स्रोत नहीं है लेकिन इसका अस्तित्व मनुष्य के लिए बहुत कुछ है। मानव केवल इसे संशोधित कर सकता है लेकिन प्राकृतिक संसाधनों का उत्पादन नहीं कर सकता। इस प्रकार इन संसाधनों की खपत को सीमा में होना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इन संसाधनों का अस्तित्व भविष्य में कभी समाप्त नहीं होना चाहिए।
वायु, पानी, मिट्टी, भूमि, धूप, जंगल, जानवर, कोयला, पेट्रोलियम और खनिज प्राकृतिक संसाधन हैं, कोई स्रोत नहीं हैं। वायु, पानी, पशु और वृक्ष नवीकरण संसाधनों की श्रेणी में आता है क्योंकि उन्हें प्रकृति से वापस आ सकता है, लेकिन कुशल तरीके से उपयोग कर। दूसरी तरफ, पेट्रोलियम, धातु और कोयले सीमित मात्रा में पाए जाते हैं और गैर-नवीकरण श्रेणी में आते हैं। इन गैर नवीनीकरण संसाधनों को किसी भी व्यक्ति या मानव द्वारा पुनरुत्पादित नहीं किया जा सकता है
कुछ संसाधन अन्य प्राकृतिक संसाधनों जैसे कि लकड़ी और ऑक्सीजन जैसे पेड़, पेट्रोलियम और धातु से आते हैं, जमीन से आते हैं, सौर ऊर्जा धूप से आता है, पवन ऊर्जा प्राकृतिक हवा से आता है और जल विद्युत ऊर्जा से आता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक, एक मानव जीवन इन प्राकृतिक संसाधनों पर पूरी तरह से निर्भर करता है और इसे कुशल तरीके से उपभोग करके भविष्य में इन संसाधनों की उपलब्धता का आश्वासन देता हूं।
वायु, पानी, मिट्टी, भूमि, धूप, जंगल, जानवर, कोयला, पेट्रोलियम और खनिज प्राकृतिक संसाधन हैं, कोई स्रोत नहीं हैं। वायु, पानी, पशु और वृक्ष नवीकरण संसाधनों की श्रेणी में आता है क्योंकि उन्हें प्रकृति से वापस आ सकता है, लेकिन कुशल तरीके से उपयोग कर। दूसरी तरफ, पेट्रोलियम, धातु और कोयले सीमित मात्रा में पाए जाते हैं और गैर-नवीकरण श्रेणी में आते हैं। इन गैर नवीनीकरण संसाधनों को किसी भी व्यक्ति या मानव द्वारा पुनरुत्पादित नहीं किया जा सकता है
कुछ संसाधन अन्य प्राकृतिक संसाधनों जैसे कि लकड़ी और ऑक्सीजन जैसे पेड़, पेट्रोलियम और धातु से आते हैं, जमीन से आते हैं, सौर ऊर्जा धूप से आता है, पवन ऊर्जा प्राकृतिक हवा से आता है और जल विद्युत ऊर्जा से आता है।
जन्म से लेकर मृत्यु तक, एक मानव जीवन इन प्राकृतिक संसाधनों पर पूरी तरह से निर्भर करता है और इसे कुशल तरीके से उपभोग करके भविष्य में इन संसाधनों की उपलब्धता का आश्वासन देता हूं।
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प्राकृत संसाधन हमारे लिए प्रकृति का वरदान है जिसे हम अपने हित के लिए नित्यप्रति प्रयोग करते हैं१ प्राकृतिक संसाधन दो वर्गों में बांटे जा सकते हैं। प्रथम वर्ग में वह संस्थान आते हैं जिन्हे प्रकृति आसानी से फिर से उत्पन्न कर के हमारी सुविधा के लिए देती रहती है। हवा, पानी, मृदा इसके उदहारण हैं। दूसरे वर्ग में वह संसाधन आते हैं जिन्हे प्रकृति फिर से उत्पन्न करने में सैंकड़ों वर्ष लगा देती है।
मानव प्रजाति प्रकृति की सबसे उत्तम कृति है जिसने अपने बुद्धि चातुर्य से अनेकों नए अविष्कार और खोज कर के अपने जीवन में अनेक सुयोग्य बदलाव लाकर अपने जीवन को बेहतर बनाया। ।।परन्तु इस प्रयास से मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का बहुत ज्यादा उपयोग किया और वे अब समाप्त होने की कगार पर हैं। अगर मानव को चाहिए कि ये संसाधन लम्बे समय तक उरलबध रहें तो हमें उनका उपयोग हमें बहुत सूझबूझ से करना चाहिए। पृथ्वी पर गायब होते हुए वन और वन्य प्र्राणी एक गहन चिंता का विषय है। समाप्त होते हुए खनिज और तेल हमें चेतावनी दे रहे हैं कि अगर अभी भी हम जागरूक होकर सतत विकास कि और अग्रसर नहीं होते तो हमारे बाद आने वाली पीडियों के लिए हम एक संसाधनहीन विश्व छोड़ कर जाएंगे।। क्या यह उचित होगा?
इससे पहले कि बहुत देर हो जाए और हम इस हानि कि भरपाई न कर पाएं, हमें जागरूकता के साथ इन संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए और सतत विकास के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। प्राकृतिक साधनों के विकल्प प्रयोग करने चाहिए। सरकारी स्तर पर और व्यक्तिगत स्तर पर अथक प्रयास ही हमें इस गंभीर समस्या से निजात दिला सकते हैं।
मानव प्रजाति प्रकृति की सबसे उत्तम कृति है जिसने अपने बुद्धि चातुर्य से अनेकों नए अविष्कार और खोज कर के अपने जीवन में अनेक सुयोग्य बदलाव लाकर अपने जीवन को बेहतर बनाया। ।।परन्तु इस प्रयास से मानव ने प्राकृतिक संसाधनों का बहुत ज्यादा उपयोग किया और वे अब समाप्त होने की कगार पर हैं। अगर मानव को चाहिए कि ये संसाधन लम्बे समय तक उरलबध रहें तो हमें उनका उपयोग हमें बहुत सूझबूझ से करना चाहिए। पृथ्वी पर गायब होते हुए वन और वन्य प्र्राणी एक गहन चिंता का विषय है। समाप्त होते हुए खनिज और तेल हमें चेतावनी दे रहे हैं कि अगर अभी भी हम जागरूक होकर सतत विकास कि और अग्रसर नहीं होते तो हमारे बाद आने वाली पीडियों के लिए हम एक संसाधनहीन विश्व छोड़ कर जाएंगे।। क्या यह उचित होगा?
इससे पहले कि बहुत देर हो जाए और हम इस हानि कि भरपाई न कर पाएं, हमें जागरूकता के साथ इन संसाधनों का संरक्षण करना चाहिए और सतत विकास के लिए योजनाएं बनानी चाहिए। प्राकृतिक साधनों के विकल्प प्रयोग करने चाहिए। सरकारी स्तर पर और व्यक्तिगत स्तर पर अथक प्रयास ही हमें इस गंभीर समस्या से निजात दिला सकते हैं।
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