नवाब साहब के सामने की बर्थ पर बैठ कर लेखक ने आँखे चुरा ली थी
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नवाब साहब के सामने की बर्थ पर बैठकर लेखक ने आँखें इसलिए चुरा ली थी क्योंकि लेखक ने जैसी डब्बे में कदम रखा तो नवाब साहब की आंखों में नाराजगी और अनमनापन सा झलकने लगा था। वह लेखक के साथ बातचीत करने के लिए उत्सुक नहीं थे। लेखक ने इसे अपना अपमान समझा। लेखक ने नवाब साहब के रुखे व्यवहार को देखकर और स्वयं के प्रति अनादर का भाव देखा अपने सम्मान की रक्षा के लिए लेखक ने सामने की बर्थ पर बैठकर आँखें चुरा लीं।
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